मुंबई: बगावत के बाद शिवसेना के नेता उद्धव ठाकरे के साथ उनकी पार्टी का भी तौर-तरीका बदल गया है। वीर सावरकर पर अपमानजनक टिप्पणी करने वाले राहुल गांधी के साथ गठजोड़ करने में अब उद्धव और संजय राउत को कोई परहेज नहीं। जिस कांग्रेस को लेकर कभी बालासाहेब साहेब ठाकरे ने कहा था कि कभी कांग्रेस से गठबंधन नहीं करेंगे, उनके साथ उद्धव ने सरकार बना ली। कभी, मराठी भाषा को लेकर तीखे तेवर रखने वाली उद्धव की पार्टी ने पहले कैलेंडर उर्दू में छपवाए और अब उद्धव ठाकरे की रैली के बैनर भी उर्दू में छप रहे हैं। ये बातें इस समय भाजपा के साथ सरकार चला रही शिंदे की शिवसेना के नेता-कार्यकर्ता कह रहे हैं।
दरअसल, शिवसेना में फूट पड़ने के बाद और निर्वाचन आयोग द्वारा शिवसेना के नाम और चुनाव चिन्ह को शिंदे गुट को सौंप दिए जाने के बाद उद्धव ठाकरे पूरे महाराष्ट्र में बड़ी-बड़ी सभाएं कर रहे हैं। खेड की रैली के बाद अब कल रविवार को (26 मार्च) मालेगांव में उद्धव की रैली है। संजय राउत तैयारी के लिए 2 दिनों से मालेगांव में मौजूद हैं। वे एक लाख से अधिक लोगों के जमा होने का दावा कर रहे हैं। बता दें कि, शिवसेना में बाग्वट के बाद नासिक जिले में उद्धव ठाकरे का यह पहला दौरा है। मालेगांव की इस रैली में बड़ी संख्या में मुस्लिमों को आकर्षित करने के लिए उर्दू में बैनर भी लगाए गए हैं।
इसी पर भाजपा और शिंदे की शिवसेना के अतुल भातखलकर, नितेश राणे, संजय गायकवाड़ जैसे नेता यह टिप्पणी कर रहे हैं कि कुछ दिनों पहले शिवसेना ने कैलेंडर उर्दू में जारी किया था। बालासाहेब ठाकरे को ‘जनाब’ कहलवाया था और अब उद्धव ठाकरे के बैनर उर्दू में लगने लगे हैं। उर्दू में ये बैनर्स मालेगांव में कई जगहों पर लगाए गए हैं। भाजपा और शिंदे गुट के नेताओं का कहना है कि, 'बस यही बाकी रह गया है, इनका भगवा रंग पूरी तरह से हिरवा (हरा) हो गया है।' वहीं, इस मामले पर उद्धव गुट के नेता संजय राउत का कहना है कि, देश में उर्दू पर पाबन्दी है क्या ? उर्दू भी भारत की भाषा है।
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