मुंबई: महाराष्ट्र में शिवसेना के बागी विधायकों (शिंदे गुट) की अयोग्यता के मामले पर उद्धव गुट की तरफ से नबाम रेबिया फैसले को लेकर दी गई दलील पर सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई पूरी हो चुकी है। आज यानी गुरुवार (16 फ़रवरी) को 5 जजों की संविधान पीठ ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया है। शीर्ष अदालत पहले ये निर्धारित करेगा कि इस मामले को 7 जजों की संविधान पीठ के पास भेजा जाए या 5 जजों की संविधान पीठ ही सुनेगी।
रिपोर्ट के अनुसार, सर्वोच्च न्यायालय ने संविधान पीठ ने 2016 के अरूणाचल प्रदेश के नबाम रेबिया फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। शीर्ष अदालत पहले यह निर्धारित करेगी कि नबाम रेबिया पर पुनर्विचार के लिए बड़ी बेंच के पास भेजा जाए या नहीं। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (15 फ़रवरी) को कहा था कि नबाम रेबिया का फैसले में कुछ बदलाव की आवश्यकता है। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि हम यह नहीं कहेंगे कि 2016 का फैसला गलत था, मगर उसमें कुछ बदलाव कर मजबूत करने की आवश्यकता है।
दरअसल, सुनवाई के दौरान उद्धव गुट ने नबाम रेबिया फैसले के कुछ पहलुओं पर भी सवाल खड़े किए थे, उसके कुछ पहलुओं पर सुनवाई करने के लिए मामले को 7 जजों के पास भेजने की मांग की थी। वहीं, शिंदे गुट ने कहा कि नबाम रेबिया फैसले पर पुनर्विचार की आवश्यकता नहीं है। अरुणाचल प्रदेश के नबाम रेबिया मामले में सर्वोच्च न्यायालय की 5 जजों की संविधानिक बेंच ने कहा था कि यदि विधानसभा अध्यक्ष को हटाने की याचिका पहले से पेंडिंग है, तो वह विधायकों की अयोग्यता पर फैसला नहीं ले सकते है।
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