मुंबई: मराठा आरक्षण पर सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को बड़ा झटका देते हुए इसे रद्द कर दिया है. अदालत द्वारा अपना फैसला रद्द किए जाने के बाद महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे ने प्रधानमंत्री मोदी से इस पूरे मामले पर हस्तक्षेप करने की मांग की है. इसके साथ ही, उन्होंने शीर्ष अदालत के इस फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है.
उद्धव ठाकरे ने कहा कि, "महाराष्ट्र में मराठा समुदाय को आरक्षण दिए जाने वाले कानून को शीर्ष अदालत की तरफ से रद्द करान दुर्भाग्यपूर्ण है. हमने मराठा समुदाय के स्वाभिमान के लिए सर्वसम्मति से इसे पारित किया था. अब सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि महाराष्ट्र ऐसा कानून नहीं बना सकता है. अब पीएम मोदी और राष्ट्रपति ही कुछ कर सकते हैं." सीएम ठाकरे ने कहा कि, "हम पीएम मोदी से यह आग्रह करते हैं कि वे इस मामले में हस्तक्षेप कर कानून बने मराठाओं को आरक्षण दें. सांभाजी राजे मराठा आरक्षण को लेकर एप्वाइंटमेंट मांग रहे हैं. क्यों उन्होंने अभी तक एप्वाइंटमेंट नहीं दिया है?" उद्धव ने आगे कहा कि मराठा समुदाय को न्याय दिलाने के लिए जंग लड़ते रहेंगे जब तक कि उन्हें यह नहीं मिल जाता.
बता दें कि शीर्ष अदालत ने महाराष्ट्र की शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश और सरकारी नौकरियों मराठा समुदाय को आरक्षण देने संबंधी राज्य के कानून को ''असंवैधानिक'' बताते हुए बुधवार को इसे रद्द कर दिया. अदालत ने कहा कि 1992 में मंडल फैसले के तहत निर्धारित 50 फीसद आरक्षण सीमा के उल्लंघन के लिए कोई असाधारण परिस्थिति नहीं है,
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