ममता को उद्धव-अखिलेश का समर्थन, साथी ही नहीं मान रहे राहुल गांधी को लीडर..!

ममता को उद्धव-अखिलेश का समर्थन, साथी ही नहीं मान रहे राहुल गांधी को लीडर..!
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नई दिल्ली: महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनावों में INDI गठबंधन की करारी हार के बाद विपक्षी दलों के भीतर नेतृत्व को लेकर असहमति खुलकर सामने आ रही है। इस विवाद के केंद्र में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का बयान है, जिसमें उन्होंने INDI गठबंधन का नेतृत्व संभालने की इच्छा जताई है। ममता बनर्जी का कहना है कि उन्होंने इस गठबंधन को बनाने में अहम भूमिका निभाई थी, और अगर वर्तमान नेतृत्व यानी राहुल गांधी इसे सही तरीके से नहीं चला पा रहा है, तो उन्हें यह जिम्मेदारी दी जानी चाहिए। 

ममता बनर्जी के इस बयान ने गठबंधन में नेतृत्व को लेकर खींचतान और बढ़ा दी है। ममता की महत्वाकांक्षा को शिवसेना (UBT) और समाजवादी पार्टी ने समर्थन दिया है। शिवसेना के संजय राउत ने कहा कि वे चाहते हैं कि ममता बनर्जी विपक्षी गठबंधन में बड़ी भूमिका निभाएँ। इसी तरह, समाजवादी पार्टी ने भी उनकी प्रशंसा करते हुए पश्चिम बंगाल में TMC की जीत और उत्तर प्रदेश में सपा के प्रदर्शन को गठबंधन के लिए बड़ी उपलब्धि बताया। सपा नेता ने कहा कि अगर सभी दल सहमत हों, तो ममता को नेतृत्व सौंपा जाना चाहिए।

दूसरी ओर, कांग्रेस ने ममता बनर्जी के बयान का विरोध किया। पार्टी के नेताओं ने राहुल गांधी को गठबंधन का स्वाभाविक नेता बताया। कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने कहा कि ममता बनर्जी का कद बड़ा है, लेकिन राहुल गांधी ही INDI गठबंधन का नेतृत्व करने के लिए सबसे योग्य हैं। कांग्रेस की सांसद वर्षा गायकवाड़ ने भी इसी बात को दोहराया। हालाँकि, राहुल की तारीफ करना कांग्रेस नेताओं की राजनितिक मजबूरी भी हो सकती है,  क्योंकि उन्हें पार्टी में ही रहना है, लेकिन बाकी साथी खुलकर राहुल के नेतृत्व का विरोध कर रहे हैं। NCP और TMC ने राहुल द्वारा लगातार अडानी-अडानी चिल्लाने का भी विरोध किया है और मुद्दों पर ध्यान देने की बात कही है। इस बीच, राजद ने ममता बनर्जी के दावे को खारिज करते हुए लालू प्रसाद यादव को विपक्षी गठबंधन का वास्तविक निर्माता बताया। राजद के प्रवक्ता ने कहा कि पटना में लालू यादव की पहल पर गठबंधन की पहली बैठक हुई थी, जिसमें ममता बनर्जी भी शामिल हुई थीं।

गठबंधन के भीतर इस असहमति का भाजपा ने भरपूर फायदा उठाया। भाजपा नेताओं ने विपक्षी नेताओं पर कटाक्ष करते हुए कहा कि INDI गठबंधन में हर नेता खुद को प्रधानमंत्री पद का दावेदार मानता है। भाजपा प्रवक्ता मुख्तार अब्बास नकवी ने तंज कसते हुए कहा कि "इंडी एलायंस में खानदान अनेक और ख्वाहिश एक है।" उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि विपक्ष के कई नेता राहुल गांधी के नेतृत्व को स्वीकार नहीं करते और उन्हें राजनीति में अपरिपक्व मानते हैं।

इस विवाद ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। जब गठबंधन के भीतर ही कांग्रेस के साथी राहुल गांधी के नेतृत्व को स्वीकार नहीं कर रहे, तो कांग्रेस उन्हें भावी प्रधानमंत्री के रूप में कैसे पेश कर सकती है? यदि राहुल गांधी गठबंधन के समर्थन से प्रधानमंत्री बन भी जाते हैं, तो क्या उनके साथी उनके नेतृत्व को पसंद करेंगे और उनके साथ सहयोग करेंगे? 

यह स्थिति न केवल INDI गठबंधन की आंतरिक कमजोरी को उजागर करती है, बल्कि यह भी सवाल खड़े करती है कि क्या यह गठबंधन भाजपा जैसी मजबूत राजनीतिक पार्टी का मुकाबला करने के लिए तैयार है। चुनावी हार के बाद नेतृत्व को लेकर बढ़ता विवाद यह संकेत देता है कि गठबंधन के भीतर विश्वास और समन्वय की कमी है। अगर यह स्थिति बनी रही, तो विपक्षी दल भाजपा के खिलाफ एकजुट होकर प्रभावी चुनौती पेश करने में विफल हो सकते हैं।

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