इस मंदिर में खिड़की से मिलते हैं कान्हा के दर्शन, जानिए पौराणिक कथा

इस मंदिर में खिड़की से मिलते हैं कान्हा के दर्शन, जानिए पौराणिक कथा
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देशभर में आज और कल कृष्ण जन्माष्टमी की धूम देखने को मिलने वाली है। जी दरअसल कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व आज यानी 18 अगस्त और कल यानी 19 अगस्त, शुक्रवार को मनाया जाने वाला है। जन्माष्टमी के दिन कृष्ण मंदिरों की रौनक देखने लायक होती है। ऐसे में कान्हा के दर्शन के लिए मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। हालाँकि क्या आप जानते हैं कि देश में एक ऐसा कृष्ण मंदिर भी है, जहां कान्हा के खिड़की से दर्शन मिलते हैं। जी हाँ और इस मंदिर के भीतर भक्तों के जाने की मनाही है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं इस मंदिर के बारे में।

जी दरअसल ऐसा कहा जाता है इस खिड़की से केवल वह लोग भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन कर पाते हैं, जिन पर खुद प्रभु की कृपा होती है। यह अद्भुत खिड़की कर्नाटक के उडुपी जिले के कृष्ण मंदिर में है। जी हाँ और यह देश के बांके बिहार लाल के प्रसिद्ध मंदिरों में भी एक है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस मंदिर की स्थापना 13वीं शताब्दी में हुई थी। इस मंदिर का निर्माण वैष्णव संत श्री माधवाचार्य ने कराया था।

एक पौराणिक कथा के अनुसार, कनकदास छोटी जाति से आते थे। मगर वह कृष्ण प्रेमी थे। छोटी जाति से होने के कारण उन्हें कृष्ण मंदिर में अंदर आकर दर्शन-पूजन की मनाही थी। इसलिए वह मंदिर से दूर खड़े होकर कान्हा को याद किया करते थे। एक दिन कनकदास ने भगवान श्रीकृष्ण से दर्शन कराने की प्रार्थना की। प्रभु ने उनकी प्रार्थना को स्वीकार करते हुए मंदिर के पिछले हिस्से में एक खिड़की बनवा दी जहां हर कोई आ-जा सकता था। कनकदास जब वहां पहुंचे तो भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं उन्हें दर्शन दिए। जब लोगों को यह बात पता चली तो और लोग वहां पर आकर कान्हा की पूजा-अर्चना करने लगे।

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