उज्जैन को देवों के देव महादेव की नगरी कहा जाता है हमारे देश में भगवान शिव के कई मंदिर है लेकिन सभी मंदिरों में सबसे अनूठा है उज्जैन का नागचंद्रेश्वर मंदिर है जिसकी कई खासियत है. आज हम आपको इस मंदिर की ख़ास बातें बताने जा रहे है जिनसे आप आज तक शायद ही वाकिफ हुए होंगे. यह अनोखा मंदिर उज्जैन में महाकाल मंदिर की तीसरी मंजिल पर बना हुआ है.
कहा जाता है कि इस मंदिर के द्वार साल में एक बार नागपंचमी के दिन ही खोले जाते है. यही नहीं बल्कि ये भी कहा गया है कि नागपंचमी के दिन स्वयं नागराज तक्षक इस मंदिर में आते है और शिव की पूजा अर्चना करते है. नागपंचमी के दिन जब यह मंदिर खुलता है तो दर्शन के लिए लाखों भक्तों की कतार लग जाती है. कहा जाता है कि ये शिव प्रतिमा करीब 1000 साल पुरानी है इस प्रतिमा में भगवान शिव और देवी पार्वती फन फैलाये नाग पर विराजमान है.
इस मंदिर का निर्माण प्रसिद्ध शिव भक्त राज भोज ने 1050 ईसवीं में करवाया था. ऐसा कहा जाता है कि नागपंचमी के दिन इस मंदिर में आकर जो भी भगवान शिव के दर्शन करता है उसके जीवन में आई सारी बाधा टल जाती है. इसके अलावा यह भी माना गया है कि सर्पशैय्या पर विराजित भगवान शिव के दर्शन करने से हर तरह के सर्प दोष मिट जाते है. माना जाता है कि भगवान शिव की इस प्रकार की मूर्ति उज्जैन नगरी के अलावा पूरे विश्व में कहीं नहीं है.
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