उज्जैन: गुरूवार को सिंहस्थ मेला क्षेत्र में अचानक आई प्राकृतिक आपदा ने मेले की रौनक को ख़त्म कर दिया. उखड़े पंडालों और धराशाई पेड़ों के बीच घबराए श्रद्धालुओं को हिम्मत बंधाने एवं संतों की सेवा के लिए उज्जैनवासी दौड़ पड़े. मुसीबत में मदद के लिए सैकड़ों हाथ खड़े हो गये|
किसीने परेशान लोगों को आसरा दिया तो किसीने बिछुड़े लोगों को सही जगह पहुंचाने में सहयोग किया. ख़ाक चौराहे पर रामकृष्ण नगर में संतों पंडाल नष्ट होने पर सड़क पर ही श्रद्धालुओं को भोजन कराया. संत डा. कृष्णानन्द के कैम्प में 1 हजार लोगों के भोजन और आवास का इंतजाम किया गया|
उज्जैनवासी अपने यहाँ आए मेहमानों की मदद के लिए दौड़ पड़े. कोई घर से सब्जी रोटी बना लाया तो कोई दवाई.लाल पुल इलाके में ममता सांगते का महिला समूह मदद के लिए दवाई और भोजन लेकर पहुंचा. चोटिल लोगों की मरहमपट्टी की और ठहरने का इन्तजाम किया. बहादुरगंज के कार्तिकेय तिवारी अपने 20 साथियों की टीम के साथ मेला क्षेत्र पहुँचे. सभी देर रात तक साधुओं और श्रद्धालुओं की हर संभव मदद करते रहे. घरों से पुड़ी के टोपले भरकर बाइक पर मेला क्षेत्र ले जाकर वितरित की|
आंधी और बारिश से मची अफरा-तफरी के बीच सफाई कर्मियों ने भी जन सेवा की कमान संभाली. किसी ने खुले से शेड तक ले जाने में भी मदद की तो किसी ने हिम्मत बंधाने में. सफाई ठेकेदार शालू पाठक अस्पताल में मदद करते दिखे|
प्राकृतिक आपदा में सिर्फ श्री दाउजी धाम का कैम्प सुरक्षित रहा. माइक से गुमशुदा लोगों की घोषणा होती रही लेकिन राहत शिविरों की जानकारी नहीं दी गई जबकि प्रशासन ने आयुर्वेदिक कालेज, कार्मल कान्वेंट सहित आसपास के स्कूल खुलवा लिए थे. जानकारी के अभाव में जोनल आफिस को ही लोगो ने शयन स्थल बना लिया|