इस क्रिकेटर ने याद किए अपने संघर्ष वाले दिन

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 भारतीय टीम के लिए टेस्ट क्रिकेट में अपनी धारधार बॉलिंग के चलते अलग मुकाम पाने वाले उमेश यादव का कहना है कि बचपन में क्रिकेट की कम जानकारी होने के कारण उन्हें नामोशी का सामना भी करना पड़ा था. उमेश ने क्रिकबज के एक शो के दौरान साफ कहा कि क्रिकेट के शुरुआती दौर में उनका क्रिकेट ज्ञान कम था. उन्हें नहीं पता था कि गेंदबाजी के लिए स्पाइक वाले शूज चाहिए होते हैं. यादव ने एक किस्सा शेयर करते हुए कहा कि वह जब छोटे थे तो एक जिला स्तरीय टूर्नामेंट में उन्हें क्रिकेट बोर्र्ड के सचिव मिले. उन्होंने उन्हें नागपुर आने को कहा. नागपुर में पहला मैच खेला. आठ विकेट निकाले. इसके बाद टॉप-30 समय कैंप का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रण मिला. वहां जाते ही उन्हें कोच से जोरदार डांट पड़ी.

उमेश ने कहा कि कोच ने मुझे बुलाया और पूछा कि मेरे जूते कहां हैं. मैंने उनको बताया कि मेरे पास स्पाइक्स नहीं हैं और मुझे अपने सामान्य जूतों में ही गेंदबाजी करनी होगी. इतना सुनते ही वे बहुत नाराज हो गए. उन्होंने कहा- तुम यहां खेलने कैसे आ सकते हो, तुम्हारे पास तो स्पाइक्स भी नहीं है. किसी को भी बुला लेते हैं खेलने के लिए. चले जाओ यहां से.

उमेश ने कहा- उस वक्त मैं बहुत नाराज था. सोचता था- आगे कभी क्रिकेट नहीं खेलूंगा. लेकिन फिर मैंने हार नहीं मानी. हर किसी को एक सीमा तक संघर्ष करना पड़ता है. मैं कभी नहीं कहूंगा कि मेरा संघर्ष किसी भी दूसरे के मुकाबले अधिक रहा है. मैं सिर्फ यही कहना चाहूंगा कि खुद पर भरोसा रखना बहुत जरूरी है. 

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