वाशिंगटन: एकाएक बढ़ा ही जा रहा कोरोना का प्रकोप आज पूरी दुनिया के लिए महामारी का रूप लेता रहा है. वही इस वायरस की चपेट में आने से अब तक 126000 से अधिक मौते हो चुकी है. लेकिन अब भी यह मौत का खेल थमा नहीं है. इस वायरस ने आज पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया है. कई देशों के अस्पतालों में बेड भी नहीं बचे है तो कही खुद डॉ. इस वायरस का शिकार बनते जा रहें है. वहीं संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने मंगलवार को कहा कि कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ाई में विश्व स्वास्थ्य संगठन या किसी अन्य मानवीय संगठन के संचालन के लिए संसाधनों को कम करने का वक्त नहीं है.
जंहा इस बारें में उन्होंने कहा कि यह मेरा विश्वास है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन का समर्थन किया जाना चाहिए, क्योंकि यह COVID-19 के खिलाफ युद्ध जीतने के लिए दुनिया के प्रयासों के लिए महत्वपूर्ण है. उनकी यह टिप्पणी अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इस ऐलान के बाद आई है कि वह विश्व स्वास्थ्य संगठन की दी जाने वाली फंडिंग को रोक रहे हैं. कोरोना महामारी के बीच संयुक्त राष्ट्र और अमेरिाक आमने-सामने हैं. आइए हम आपको बताते हैं इस फसाद की जड़ क्या है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन की भूमिका पर उठे सवाल: हाल में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने विश्व स्वास्थ्य संगठन की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा था कि दुनिया में कोरोना महामारी का प्रकोप इस संगठन की लापरवाही के कारण हुई है. इस क्रम में उन्होंने संगठन पर चीन के साथ सांठगांठ का भी आरोप लगाया था. ट्रंप ने कहा था कि संगठन को कोरोना के खतरों के बारे में काफी समय पहले से पता था, लेकिन उसने देरी से कदम उठाए. उन्होंने कहा कि संगठन को उसके द्वार कदम उठाए जाने से महीनों पहले वायरस के बारे में जानकारी थी. बता दें कि इस महामारी को लेकर चीन के साथ-साथ डब्ल्यूएचओ की दुनियाभर में आलोचना हो रही है. कथित तौर पर दोनों पर आरोप लगाया जा रहा है कि वायरस को इन्होंने गंभीरता से नहीं लिया, जिससे यह पूरे विश्व में फैल गया.
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