नई दिल्ली। केंद्रीय कर्मचारियों के लिए 7 वां वेतनमान तो लागू कर दिया गया है लेकिन अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि इसकी दरें किस तरह की होंगी। इसके लागू किए जाने वाले नए नियम भी अभी तय नहीं हो सके हैं। दूसरी ओर 5 राज्यों में होने वाली चुनावी प्रक्रिया, नोटबंदी के बाद के हालातों के चलते भी 7 वें वेतनमान की सिफारिशों को अमल में लाना कुछ कठिनाईभरा रहा है। ऐसे में कई भत्ते 6 ठे वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार दिए जा रहे हैं।
केंद्र सरकार के कर्मियों के भत्ते लंबे समय से चले आ रहे हैं। केंद्रीय मंत्रीमंडल की बैठक का आयोजन इसे लेकर गुरूवार को ही किया गया था। मिली जानकारी के अनुसार भत्ते की स्वीकृति बहुत पहले से ही लंबित थी मगर असमंजस बना हुआ था कि इसे लेकर निर्णय कब हो सकेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ही इस मामले का निराकरण जल्द से जल्द किए जाने का निर्देश दे चुके हैं। मगर कुछ पेंचों हो हल करने के बाद ही इस पर अमल किए जाने की संभावना है।
7 वें वेतन आयोग के नए नियमों को लागू किया जाना है। हालांकि इस मामले में पेंशनर्स के लाभों को लेकर भी अमल किया जाना है। 7 वें वेतन आयोग को लेकर सुरक्षाबलों के लिए जारी किए जाने वाले 3 पे मैट्रिक्स को जारी रखना जरूरी है। कैबिनेट द्वारा प्री 2016 पेंशनभोगियों व पारिवारिक पेंशन भोगियों की प्रक्रिया में परिवर्तन को स्वीकृति प्रदान की गई है। कर्मचारियों को 7 वें वेतनमान का जो लाभ दिया जाना है उसमें मिलने वाले डीए में लगभग 2 प्रतिशत की बढ़ोतरी की जा सकती है।
मिली जानकारी के अनुसार अशोक लवासा के नेतृत्व में कमेटी का गठन हुआ है कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है लेकिन केन्द्र सरकार कर्मचारियों को भत्ता देने में सक्षम नहीं है। गौरतलब है कि 6ठे वेतन आयोग की सिफारिशों को मंजूरी देने के बाद केन्द्र सरकार ने घोषणा की थी कि सभी कर्मचारियों को जनवरी 1 2016 से बढ़ी हुई सैलरी और भत्ता मिलेगा लेकिन नोटबंदी लागू होने के बाद केन्द्र सरकार इस मुद्दे पर आखिरी फैसला लेने से कतरा रही है। नोटबंदी का फैसला लेने के बाद मोदी सरकार ने केन्द्रीय कर्मचारियों के भत्ते पर वेतन आयोग की सिफारिशों को देखने के लिए एक कमेटी गठित कर दी। इस कमेटी को वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने का रास्ता तय करने के लिए भी कहा गया है।
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