आखिर किस वजह से फट जाते है बादल, क्या है इसका कारण

आखिर किस वजह से फट जाते है बादल, क्या है इसका कारण
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मानसून का मौसम आते ही भारी बारिश, बिजली गिरने और बादल फटने की खबरें आम हो गई हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि बादल क्यों फटते हैं, जिससे अचानक बाढ़ और भूस्खलन होता है? पहाड़ी इलाकों में बादल फटने की घटना काफी आम है, खासकर मानसून के मौसम में। हालांकि यह अचानक और समझ से परे की घटना लग सकती है, लेकिन इसके पीछे वैज्ञानिक कारण हैं।

भारतीय मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, बादल फटना तब होता है जब एक घंटे में अचानक 100 मिमी से ज़्यादा बारिश होती है। यह पानी के गुब्बारे के फटने के बराबर है, जिससे सारा पानी एक साथ बाहर निकल जाता है। इस घटना को बादल फटना या अचानक बाढ़ भी कहा जाता है।

विशेषज्ञ बताते हैं कि जब अत्यधिक नमी वाले बादल एक ही स्थान पर इकट्ठा होते हैं, तो बादल में मौजूद पानी की बूंदें आपस में मिल जाती हैं, जिससे बादल का घनत्व बढ़ जाता है। इससे अचानक और तेज़ बारिश होती है। बादल फटने की ज़्यादातर घटनाएँ पहाड़ी इलाकों में होती हैं, जहाँ बादल पहाड़ियों के बीच फंस जाते हैं और आगे नहीं बढ़ पाते। नतीजतन, पानी से भरे बादल बारिश में बदल जाते हैं, जिससे अचानक बाढ़ आ जाती है।

बादलों का घनत्व सामान्य से कहीं ज़्यादा होता है, जिससे भारी बारिश होती है। स्थिति तब और भी गंभीर हो जाती है जब नदियों और नालों में पानी का स्तर अचानक बढ़ जाता है, जिससे बाढ़ आ जाती है। पहाड़ी इलाकों में ढलान बहुत ज़्यादा है, इसलिए पानी का रुकना मुश्किल होता है और यह तेज़ी से नीचे की ओर बहता है, अपने साथ मिट्टी, चट्टानें, पेड़ और यहाँ तक कि जानवर और इंसान भी बहा ले जाता है।

हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे राज्यों में बादल फटने की घटनाएँ आम हैं, जहाँ मानसून के मौसम में भारी बारिश होती है। हालाँकि यह एक प्राकृतिक आपदा की तरह लग सकता है, लेकिन इसके पीछे के विज्ञान को समझने से हमें ऐसी घटनाओं के लिए बेहतर तरीके से तैयार होने में मदद मिल सकती है।

निष्कर्ष के तौर पर, बादल फटना एक जटिल घटना है जो तब होती है जब अत्यधिक नमी वाले बादल एक ही स्थान पर इकट्ठा होते हैं, जिससे अचानक और तीव्र वर्षा होती है। हालाँकि यह एक अचानक और समझ से परे घटना लग सकती है, लेकिन इसके पीछे के विज्ञान को समझने से हमें ऐसी घटनाओं के लिए बेहतर तरीके से तैयार होने और अचानक बाढ़ और भूस्खलन से होने वाले नुकसान को कम करने में मदद मिल सकती है।

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