अपनी बात न मानी जाने पर भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व तक को हिला देने वाली और अपनी राष्ट्रीय पार्टी बनाकर देशभर की राजनीति में हलचल मचा देने वाली केंद्रीय मंत्री उमाभारती को यूं तो भारतीय जनता पार्टी की फायर ब्रांड नेत्री माना जाता है लेकिन उनका व्यक्तित्व बेहद सरल है वे अपने निर्णयों में कठोरता रखती हैं लेकिन उनका हृदय बेहद कोमल है। फायरब्रांड नेत्री उमा भारतीय लोकप्रिय राजनेत्री होने के ही साथ प्रखर वक्ता, गंगा की निर्मल धारा के समान पवित्र व्यक्तित्व की धनी हैं।
केंद्रीय जलसंसाधन और गंगा संरक्षण मंत्री हैं। हालांकि वे जन्म की जाति से लोधी राजपूत हैं लेकिन अब साध्वी हैं। उनका जन्म 3 मई को हुआ था। यह उनका 58 वां जन्मदिवस है। उभार भारत के पिता गुलाब सिंह और माता बेटीबाई थीं। वे चार भाईयों और दो बहनों में सबसे छोटी थीं। मगर इसके बाद भी उन्होंने अपने पूरे परिवार की जिम्मेदारी का निर्वहन स्वयं किया। उन्हें गीता रामायण कंठस्थ थे वे रामचरित मानस की चैपाईयों को यूं ही सुना दिया करती थीं।
उमा भारत की परिचय प्रवचन के दौरान ग्वालियर की तत्कालीन रियासत की राजमाता विजयाराजे सिंधिया से हुआ। बस यहीं से उनका राजनीतिक कैरियर प्रारंभ हो गया और फिर वे भाजपा में प्रगति करती चली गईं। उन्होंने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री का पद संभाला और फिर जब उन पर तिरंगा यात्रा को लेकर आरोप लगे तो उन्हें अपना पद छोड़ना पड़ा।
जब इस तरह के मामले के बाद वे फिर सक्रिय हुईं तो उनके पास कोई पद नहीं था। ऐसे में उन्होंने विरोध कर अपनी पार्टी बना ली। मगर बाद में इसका विलय भाजपा में हो गया। उनके प्रभाव के आगे सभी नेताओं को झुकना पड़ा और अब वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्ववाली केंद्र सरकार में मंत्री हैं। उन्होंने कई मुद्दों पर महत्वपूर्ण और ऐसे बयान दिए हैं जिन्हें विवादित माना जाता है।
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