लंदन: चीन से लेकर इंग्लैंड तक के लैब में कोरोना वैक्सीन बनाने का काम चल रहा हैं। इससे पहले ईबोला की वैक्सीन पांच वर्ष की रिसर्च के बाद बनी थी। इस बार पूरी दुनिया आपात स्थिति से जूझ रही है, इसलिए तैयारी उसी तरह से हो रही है। दो वर्ष के क्लीनिकल ट्रायल को दो महीने के अंदर पूरा करने की योजना बनाई गई है। इंग्लैंड में 21 नए रिसर्च प्रोजेक्ट शुरू किए गए हैं। इसके लिए इंग्लैंड की सरकार ने 1.4 करोड़ पाउंड की राशि उपलब्ध कराई है।
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में 10 लाख वैक्सीन की डोज बनाने की कवायद चल रही है। इंग्लैंड के पीएम बोरिस जॉनसन खुद कोरोना के शिकार हो गए थे। हालांकि अब वो पूरी तरह स्वस्थ हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार वैक्सीन बनाने के लिए तय प्रोटोकॉल से पहले ही इसे ह्यूमन टेस्टिंग की तैयारी चल रही है। जानकारों के अनुसार, खुद ऑक्सफोर्ड के रिसर्चर्स को पता नहीं है कि वैक्सीन कितनी असरदार होगी।
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में जेनर इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर आड्रियान हिल का कहना है कि, हम किसी भी कीमत पर सितंबर तक वैक्सीन के दस लाख डोज तैयार करना चाहते हैं। एक बार वैक्सीन की क्षमता का पता लग जाए तो उसे बढ़ाने पर बाद में भी काम किया जा सकता है। ये स्पष्ट है कि पूरी दुनिया को करोड़ों डोज की आवश्यकता पड़ने वाली है। तभी इस महामारी का अंत होगा और लॉकडाउन से निजात मिलेगी. कोरोनावायरस को खत्म करने के लिए वैक्सीन ही सबसे असरदार उपाय हो सकता है।
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