भविष्य में सांपों के जहर से बनने वाली दवाएं और एंटीवेनम के निर्माण में बड़ी सफलता हाथ लगने वाली है. वैज्ञानिकों ने लैब में सांपों की विष ग्रंथि को विकसित कर दिया है, जिसके माध्यम से बड़े पैमाने पर प्राकृतिक सांप का जहर तैयार किया जा सकता है. 'सेल' जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में वैज्ञानिकों ने बताया कि किस तरह से उन्होंने केप कोरल सांप की विष ग्रंथियों के लैब में ऑर्गन बनाए. यह सांप दक्षिणी अफ्रीका के कुछ हिस्सों में पाया जाता है. इसके बारे में वैज्ञानिकों ने बताया कि इस विधि से विष के उत्पादन में अभूतपूर्व तेजी लाई जा सकती है. यह विधि सस्ती भी है. पहले की विधि में सांपों को पालना पड़ता है और फिर उनकी विष ग्रंथियों से जहर निकालना होता है जो कि बहुत खर्चीला और वक्त लेने वाला काम है.
शोधकर्ताओं ने बताया कि अभी तक विभिन्न प्रयोगशालाओं में मनुष्य और चूहों की कोशिकाओं से बने ऑर्गेन ही बनाए जाते रहे हैं. लेकिन अब पहली बार किसी सरीस्रप के आर्गन को विकसित किया गया है. शोधकर्ताओं ने विष ग्रंथि बनाने के लिए केप कोरल सांप का चयन किया. इन सांपों के अंडों को उनके सेने से पहले ही हटा दिया गया. इसके बाद उससे प्राप्त किए गए ऊतकों को एक विशेष जेल में रखकर विकसित किया गया. विष ग्रंथियों का विकास इतनी तेजी से हुआ कि एक हफ्ते में ही वे पूर्ण विकसित हो गईं. शोधकर्ताओं ने इस दौरान सांप की ग्रंथि बनाने के साथ ही उसके लिवर, पैंक्रियाज और आंत भी बनाए.
नीदरलैंड की उट्रेच यूनिवर्सिटी के हैंस क्लेवर्स ने बताया कि एक साल में लगभग एक लाख लोग सांप के काटने से अपनी जान गंवा देते हैं. विकाससील देशों में इस तरह की घटनाएं ज्यादा होती हैं. फिर भी 19वीं सदी से एंटी वेनम बनाने के तरीकों में अभी तक कोई नया बदलाव नहीं आया है. ये नई विधि एक नई उम्मीद लेकर आई है. हर सांप के जहर में दर्जनों अलग-अलग प्रकार के घटक होते हैं. ये बेहद शक्तिशाली अणु हैं जो उनके शिकार को भागने से रोकने के लिए बनाए गए हैं. ये घटक शिकार के मस्तिष्क, न्यूरोमस्कुलर जंक्शन, रक्त में जमावट आदि विभिन्न प्रणालियों को प्रभावित करते हैं.
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