गुरूवार को ब्रिटेन में संसदीय सीटों के लिए वोट डाले जाएंगे. इसका रिजल्ट शुक्रवार को आएगा. इससे पहले लोगों के वोट हासिल करने के लिए वायदों का सिलसिला जारी है. लेबर पार्टी ने तो अपने चुनावी घोषणापत्र में यहां तक वादा कर दिया है कि यदि वो सत्ता में आती है तो जलियांवाला बाग नरसंहार के लिए भारत से औपचारिक रूप से माफी मांगेगी. यहां 650 सीटों के लिए वोट डाले जाने हैं. भारत में 100 साल पहले ब्रितानी हुकूमत ने जालियांवाला बाग में अंधाधुंध गोलियां चलाकर लोगों को मौत के घाट उतार दिया था. जान बचाने के लिए यहां मौजूद लोग कुएं में भी कूद गए थे. इस बाग की दीवारें उस समय के नरसंहार की आज भी गवाही दे रही हैं. विश्लेषकों का कहना है कि लेबर पार्टी की ओर से ये वादा केवल दक्षिण एशियाई मूल के लोगों के वोट हासिल करने के लिए किया है.
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मीडिया रिपोर्ट के अनुसार ब्रिटेन का सबसे बड़ा शहर मैनेचेस्टर हो या ब्रैडफर्ड, ये दोनों शहर लेबर पार्टी के गढ़ है यहां कंजर्वेटिव पार्टी का वजूद कम ही दिखता है. कश्मीर पर लेबर पार्टी के स्टैंड को भारत-विरोधी माना जा रहा है जिसके कारण भारतीय मूल के अधिकतर लोग लेबर पार्टी से नाराज हैं. इसके बाद भी इन लोगों का मन केवल कश्मीर मुद्दे पर वोट देने का नहीं है. इसके अलावा वो बेरोजगारी, गरीबी, ब्रैक्जिट और टैक्स आदि मुद्दों को लेकर भी वोट करने की रणनीति बना रहे हैं.
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अगर आपको नही पता तो बता दे कि भारतीय मूल के 15 लाख लोग यहां आबाद हैं. इनमें पांच लाख सिख, तीन लाख भारतीय मुस्लिम और एक लाख से अधिक दक्षिण भारतीय हैं. सिख समुदाय हमेशा से लेबर पार्टी के साथ रहा है, इसमें कोई खास परिवर्तन नहीं दिखाई देता है. भारतीय मुस्लिम समुदाय में जो गुजरात के हैं वो कंजर्वेटिव की तरफ जरूर झुके हैं लेकिन अधिकतर अब भी लेबर पार्टी के साथ हैं. दक्षिण भारत में तमिल समुदाय के लोग सबसे अधिक हैं उनका वोट पहले की तरह ही बंटा हुआ है. उत्तर भारत से आए लोगों का बहुमत पूरी तरह से बोरिस जॉनसन के साथ दिखाई देता है, पिछले चुनाव में दक्षिण एशियाई मूल के 12 उम्मीदवार चुनाव जीते थे. इस में लेबर पार्टी के 7 और कंजर्वेटिव पार्टी के पांच उम्मीदवार विजयी रहे थे.
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