जीवन में किसी भी चीज की अधिकता नुकसान पहुचाने का काम करती है.आधुनिक दुनिया में सोशल मीडिया, कंप्यूटर और टेलीविजन ने लोगों की दुनिया आसान कर दी है. वहीं, दूसरी ओर इनके अधिक इस्तेमाल से बीमारियां भी पनप रही हैं. एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि चार साल की अवधि के दौरान सोशल मीडिया, टेलीविजन और कंप्यूटर का बहुत ज्यादा इस्तेमाल करने से अवसाद और चिंता के लक्षणों के अधिक गंभीर होने का खतरा होता है.
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हाल ही में कनाडाई जर्नल ऑफ साइकेट्री में प्रकाशित शोध से पता चलता है कि सोशल मीडिया, कंप्यूटर और टेलीविजन देखने पर औसत आवृत्ति से ज्यादा आवृत्ति के संपर्क में रहने के कारण चिंता और अवसाद के लक्षण नजर आने लगते हैं. कनाडा की मॉन्टियल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के अनुसार जब किशोर सोशल मीडिया का उपयोग कम कर देते हैं तो अवसाद के लक्षणों में भी कमी आ जाती है.
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि हालिया अध्ययन में शोधकर्ताओं ने एक अहम बात यह पाई कि सोशल मीडिया का उपयोग और टीवी देखना केवल अवसाद को ही बढ़ाता है। जहां तक कंप्यूटर के इस्तेमाल का सवाल है तो शोधकर्ताओं ने बताया कि कंप्यूटर का संबंध अवसाद से नहीं बल्कि चिंता से है. यह अध्ययन बताता है कि किस तरह से युवाओं और उनके परिवारों को डिजिटल स्क्रीन पर समय बिताना चाहिए ताकि अवसाद और चिंता दोनों से बचा जा सके.स्क्रीन पर ज्यादा समय बिताना भविष्य में अवसाद और चिंता से पीड़ित होने का सूचक है. मॉन्टियल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर पेट्रीसिया कॉनरेड ने बताया कि इस दिशा में और अधिक शोध करने की जरूरत है. ताकि और गहराई से सोशल मीडिया के प्रभावों का पता लगाया जा सके.
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