सावन का महीना शुरू होने वाला है और यह महीना भगवान शिव का सबसे अधिक प्रिय है. देवो के देव महादेव कहे जाने भगवान शिव को सबसे बड़े देवता माना जाता है. शास्त्रों में देवी सती और भगवान शिव की प्रेम कहानी पूजनीय है. शास्त्रों के अनुसार जब अपने पति के मान-सम्मान की रक्षा करते हुए देवी सती ने अपने प्राण त्याग दिए तो भगवान शिव तांडव करने लगे.
दरअसल ऐसा कहा गया है कि यह सब भगवान शिव की पहले से ही लीला थी क्योंकि वह चाहते थे कि संसार में शक्तिपीठों की स्थापना हो. ऐसा बताया गया है कि एक दिन देवर्षि नारद भोले नाथ से मिलने कैलाश पर्वत पर लेकिन उन्हें भगवान शिव नहीं मिले लेकिन वंहा पर माँ पार्वती मौजूद थी. इस दौरान देवर्षि नारद ने पार्वती से पूछा कि मां भोले नाथ आपसे निष्कपट प्रेम तो करते हैं न.
इस बात का उत्तर माँ पार्वती ने बड़ी सहजता के साथ दिया. उन्होंने कहा कि हां...हां... वो तो मुझ से बहुत प्रेम करते हैं. इसी दौरान नारद जी ने कहा कि अगर वह आपसे इतना अधिक प्रेम करते है तो उनके गले में मुण्डों की माला है, वे किसके मुण्ड हैं. इस प्रश्न का जवान माँ पार्वती ने भगवान शिव से पूछा तो उन्होंने बताया कि मेरे गले में मुण्डों की माला है उसमें से कुछ मुण्ड तो तुम्हारे हैं और कुछ मेरे अन्य प्रेमी भक्तों के हैं. उन्होंने बताया कि जब-जब तुम्हारा शरीर पात हुआ, तुम से अन्नय प्रेम होने के कारण में तुम्हारे उस मुण्ड को गले में पिरो लेता हूं.
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