श्रीनगर: केंद्र सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) को प्रतिबंधित करने के तक़रीबन छह महीने बाद गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) ट्रिब्यूनल ने प्रतिबंध की पुष्टि की है. ट्रिब्यूनल का कहना है कि JKLF के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए सरकार के पास विश्वसनीय आधार उपलब्ध हैं. JKLF पर आतंकी गतिविधियों को समर्थन करने का इल्जाम लगता रहा है, साथ ही JKLF के खिलाफ कई मामले दर्ज हैं.
इन मामलों में वायुसेना के चार अधिकारियों की हत्या का मामला और मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रूबैया सईद के अपहरण का केस भी शामिल है. प्राप्त जानकारी के अनुसार, यह संगठन आतंक को बढ़ावा देने के लिए अवैध तरीके से धन मुहैया कराने का काम करता था. यह संगठन चंदा इकठ्ठा कर घाटी में अशांति फैलाने के लिए हुर्रियत के कार्यकर्ताओं और पत्थरबाजों के बीच धन के वितरण और विध्वंसकारी गतिविधियों को बढ़ावा देने के काम में भी सक्रिय रूप से शामिल रहा है.
इस वर्ष मार्च में नरेंद्र मोदी सरकार ने जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) को आतंक विरोधी कानून (UAPA) के तहत प्रतिबंधित कर दिया था. केंद्र का यह फैसला अलगाववादियों पर बड़ी कार्रवाई के रूप में देखा गया था. आपको बता दें कि अलगाववादी नेता यासीन मलिक JKLF के अध्यक्ष हैं. जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने पुलवामा हमले के 8 दिन बाद 22 फरवरी को यासीन मलिक को हिरासत में लिया था.
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