आज तक आप सभी ने कई मंदिरों के बारे में सुना और पढ़ा होगा जो अनोखे होंगे। अब आज दशहरे के दिन हम आपको बताने जा रहे हैं रावण के मंदिर के बारे में। जी हाँ, उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में एक ऐसा मंदिर है जहां रावण की पूजा की जाती है। पढ़कर आपको यकीन नहीं हो रहा होगा लेकिन यह सच है। जी दरअसल कानपुर में दशानन मंदिर है जो केवल और केवल दशहरे के दिन खोला जाता है और रावण दहन के बाद इसे बंद कर दिया जाता है।
आज विजय दशमी है और आज के दिन इस मंदिर को खोलकर सुबह श्रृंगार और पूजन के साथ ही दूध, दही, घृत, शहद, चंदन, गंगा जल आदि से दशानन का अभिषेक किया गया। बताया जा रहा है यहाँ आज यानी विजय दशमी के दिन लंकेश के दर्शन को यहां दूर-दूर से श्रद्धालु आए हैं। मिली जानकारी के मुताबिक स्व। गुरु प्रसाद शुक्ला ने करीब 150 साल पहले मंदिरों की स्थापना कराई थी और उस समय उन्होंने मां छिन्नमस्ता का मंदिर और कैलाश मंदिर की स्थापना भी करवाई थी। इस मंदिर में मां छिन्नमस्ता के साथ ही मां काली, मां तारा , षोडशी, भैरवी, भुनेश्वरी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी, कमला महाविद्या के साथ ही दुर्गा जी, जया, विजया, भद्रकाली , अन्नपूर्णा, नारायणी, यशोविद्या, ब्रह्माणी, पार्वती, श्री विद्या, देवसेना, जगतधात्री आदि देवियां यहां विराजमान हैं।
इसी के साथ शक्ति के भक्त के रूप में यहां रावण की प्रतिमा स्थापित की गई। बताया जा रहा है मंदिर में दशानन की 10 सिर वाली प्रतिमा है। यहाँ आज के दिन दशानन का फूलों से श्रृंगार किया जाता है और सरसों के तेल का दीपक जलाया कर आरोग्यता, बल , बुद्धि का वरदान मांगा जाता है। यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं का मानना है कि रावण एक महान विद्वान भी था। इसी के चलते वह रावण की पूजा करते हैं और उनका आशीर्वाद लेते हैं। वहीं दूसरी तरफ कुल के लोगों का मानना है कि रावण की आरती करने के बाद उनकी इच्छाएं पूरी होती है।
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