लखनऊ: अब की आने वाले वर्ष में वेतन, पेंशन और ब्याज को चुकाया पर यूपी की योगी सरकार की आधी से ज्यादा कमाई खर्च होने वाली है. जंहा वित्तीय वर्ष 2020-21 में सरकार की कुल राजस्व प्राप्तियां 4,22,567.83 करोड़ रुपये होने का अनुमान है. जंहा यह भी कहा जा रहा है कि वेतन, पेंशन व ब्याज की अदायगी पर कुल 2,24,561.03 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है. जाहिर है कि राजस्व प्राप्तियों का 53.1 प्रतिशत हिस्सा वेतन, पेंशन व ब्याज पर खर्च होगा. राज्य सरकार की ओर से वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए बीते मंगलवार यानी 18 फरवरी 2020 को पेश बजट में यह तस्वीर सामने आई है.
वहीं इस बात की जानकारी मिली है कि वेतन, पेंशन व ब्याज के मद में सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष में 2,06,287.55 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान लगाया था. हालांकि पुनरीक्षित अनुमान में यह घटकर 1,97,678.18 करोड़ रुपये ही रह गया है. ऐसे में चालू वित्तीय वर्ष की तुलना में अगले साल वेतन, पेंशन व ब्याज की अदायगी पर 26,882.85 करोड़ रुपये ज्यादा खर्च होंगे. वेतन, पेंशन व ब्याज अदायगी पर होने वाले खर्च में वृद्धि के बावजूद सरकार ने पूंजीगत परिव्यय को बढ़ाने का हौसला दिखाया है. जंहा इस भी कहा जा रहा है कि पूंजीगत परिव्यय से आशय परिसंपत्तियों को बढ़ाने पर होने वाला खर्च है. अगले वित्तीय वर्ष में पूंजीगत परिव्यय पर 81,209.49 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है जबकि पिछले बजट में इसके लिए 77,641.13 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे.
सरकार पर बाजार से कर्ज लेने का दबाव बढ़ा: अपने स्रोतों से कर राजस्व जुटाने के मोर्चे पर राज्य सरकार इस साल झटका लगा है. जंहा यह भी कहा गया है कि सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष में स्वयं के कर राजस्व के जरिये 1,40,176 करोड़ रुपये जुटाने का मंसूबा पाला था लेकिन मंगलवार को पेश किये गए वित्तीय वर्ष 2020-21 के बजट के पुनरीक्षित अनुमानों के अनुसार उसकी झोली में आये सिर्फ 1,34,038.94 करोड़ रुपये. इस लिहाज से राज्य के अपने कर राजस्व में 6137 करोड़ रुपये की कमी अनुमानित है. इस कमी के बावजूद सरकार ने अगले वित्तीय वर्ष में स्वयं के कर राजस्व के जरिये 1,66,021 करोड़ रुपये जुटाने का हौसला दिखाया है. इसके बावजूद सरकार पर बाजार से कर्ज लेने का दबाव बढ़ा है.
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