लखनऊ : यूपी और उत्तराखंड के बीच पिछले 16 साल से लंबित विवादों के समाधान के लिए सोमवार को दोनों राज्यों के सीएम सहित अधियकारियों के बीच करीब 2 घंटा 20 मिनट की बैठक हुई.इसमें मुख्य मुद्दा दोनों राज्यों के बीच परिसंपत्तियों का बंटवारा रहा. यदि सहमति बनी तो उत्तराखंड को करीब 4200 करोड़ रुपए की संपत्ति मिल सकती है.
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में बीजेपी सरकार बनने के बाद दोनों के बीच पिछले 16 साल से लंबित पड़े परिसंपत्तियों के पूर्ण बंटवारे के मुद्दे को सुलझाने पहल से इनके समाधान की नई आस जगी है. दोनों सीएम ने सिंचाई विभाग, ग्राम्य विकास, औद्योगिक विकास, गृह विभाग, तराई बीच एवं तराई विकास परिषद.औरपरिवहन निगम.बता दें कि दोनों राज्यों के बीच लगभग एक दर्जन विभागों में परिसंपत्तियों के बंटवारे को लेकर विवाद है और पिछले सोलह सालों में दोनों राज्य एकमत नहीं हो पाए हैं.
आपको बता दें कि ऐसा नहीं है कि दोनों राज्यों में परिसंपत्तियां बंटी ही नहीं, प्रारम्भ में कई विभागों और कार्मिकों का तयशुदा फार्मूले के अनुसार बंटवारा हुआ. उत्तराखंड की पिछली कई सरकारों ने भी इस मसले के समाधान की दिशा में कदम बढ़ाए, लेकिन धरातल पर इनका असर दिखा नहीं. यही कारण है कि परिसंपत्तियों को लेकर कुछ मामले न्यायालय में भी विचाराधीन हैं.
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