लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय को सूचित किया है कि हाथरस जाते समय पत्रकार सिद्दीकी कप्पन के साथ गिरफ्तार किए गए तीन कथित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के सदस्यों के वकीलों को जेल में उनसे मिलने की अनुमति है। यह घटनाक्रम याचिकाकर्ताओं के काउंसलर्स द्वारा आरोप लगाया गया है कि जेल अधीक्षक, मथुरा उन्हें अपने ग्राहकों से मिलने की अनुमति नहीं दे रहे हैं।
एडिशनल एडवोकेट जनरल मनीष गोयल ने जस्टिस सूर्यप्रकाश केसरवानी और जस्टिस शमीम अहमद की खंडपीठ को बताया कि काउंसलर्स जेल नियमों के अनुरूप याचिकाकर्ताओं से मिल सकते हैं। पीठ एक छात्र अतीक उर रहमान की ओर से दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण अपील पर सुनवाई कर रही थी। तीनों लोगों को मथुरा पुलिस ने 5 अक्टूबर 2020 को पकड़ा था, जबकि वे हाथरस जा रहे थे और बाद में उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था।
उन पर हाथरस में दंगे और जाति आधारित अशांति पैदा करने की साजिश रचने का आरोप था और उन पर कड़े गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत मामला दर्ज किया गया था। इससे पहले केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स ने भी आरोप लगाया था कि कप्पन को भी इसी दिन मथुरा में इसी आधार पर गिरफ्तार किया गया था, उन्हें किसी भी वकील से मिलने और उनके वकील के लिए अधिकार पत्र पर हस्ताक्षर करने से रोका जा रहा है।
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