लखनऊ: उत्तर प्रदेश बस विवाद में कांग्रेस की मुश्किल कम होती नज़र नहीं आ रही हैं. उत्तर प्रदेश कांग्रेस इकाई के अध्यक्ष अजय लल्लू की रिहाई तो हो चुकी है, किन्तु प्रियंका गांधी के निजी सचिव संदीप सिंह को अभी जेल में ही दिन काटना होगा. शुक्रवार को जमानत याचिका पर सुनवाई के लिए उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने बहस सुनने के बाद उन्हें कोई राहत नहीं दी है.
अदालत ने सरकार से रिपोर्ट भी तलब की है और अगली सुनवाई के लिए 29 जून की तारीख मुक़र्रर की है. संदीप पर प्रवासी मजदूरों के लिए लगाई गईं एक हजार बसों की लिस्ट में हेराफेरी के मामले में प्राथमिकी दर्ज की गई थी. हालांकि 17 तारीख को उत्तर प्रदेश के कांग्रेस प्रदेश इकाई के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू पूरे 29 दिन बाद जेल से रिहा हो गए, मगर संदीप सिंह को अभी भी जेल में ही रहना होगा.
क्या है मामला ?
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने 16 मई को ट्वीट करते हुए कहा था कि हजारों मजदुर, प्रवासी भाई-बहन बिना खाए भूखे-प्यासे पैदल दुनिया भर की मुसीबतों को उठाते हुए अपने घरों की तरफ चल रहे हैं. यूपी के हर सीमा पर बहुत मजदूर मौजूद हैं. ऐसे में प्रिंयका ने प्रवासी मजदूरों के लिए 1000 बसें भेजने के लिए राज्य सरकार से अनुमति मांगी थी. पहले योगी सरकार ने इस मांग को ख़ारिज कर दिया था, किन्तु बाद में स्वीकार कर लिया. इसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार के प्रशासन ने प्रियंका के दफ्तर से 1000 बसों और ड्राइवर के विवरण की मांग की थी.
यूपी सरकार का आरोप है कि बसों की सूची में ऑटो, एंबुलेंस, बाइक के नंबर पाए गए थे. कुछ बसों के नंबर की पुष्टि ही नहीं हो सकी थी. जबकि कुछ बसों के नंबर चोरी के वाहन की होने की आशंका भी जताई गई थी. इस मामले में लखनऊ के हजरतगंज पुलिस ने धोखाधड़ी की प्राथमिकी दर्ज की थी.
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