पत्थरबाजों को 1000, तो बमबाज़ों को 5000 रुपए..., जानिए कानपुर में 'नमाज़' बाद कैसे भड़की हिंसा ?

पत्थरबाजों को 1000, तो बमबाज़ों को 5000 रुपए..., जानिए कानपुर में 'नमाज़' बाद कैसे भड़की हिंसा  ?
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लखनऊ: उत्तर प्रदेश के कानपुर में 3 जून, 2022 को जुमे की नमाज़ के बाद भड़की हिंसा को लेकर मंगलवार को अदालत को में SIT ने केस डायरी फाइल की। जिस पर अदालत में सुनवाई के दौरान कई खुलासे हुए हैं, जिसमें यह बात सामने आई है कि उपद्रवियों की तरफ से पत्थरबाज़ी से लेकर बमबाजी तक के रेट तय किए गए थे। मामले में केस डायरी लोक अभियोजक दिनेश अग्रवाल ने फाइल की थी। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अदालत में दायर की गई SIT की केस डायरी में इस बात का जिक्र है कि कानपुर में हुई हिंसा को लेकर पूरी योजना बनाकर की गई थी, जिसमें फाइनेंस से लेकर हर शख्स की अलग-अलग जिम्मेदारी निर्धारित की गई थी। 

यहाँ तक कि हिंसा करने वाले को किस प्रकार से पैसे देने हैं और उन्हें कैसे काम करना है और उसके लिए कितने पैसे मिलेंगे, इसका भी रेट पहले से निर्धारित कर लिया गया था। SIT की केस डायरी में इस बात का जिक्र है कि पत्थरबाज़ी करने वाल हर शख्स को कथित तौर पर 500-1,000 रुपए दिए गए थे और जिन्होंने दंगों के दौरान पेट्रोल बम फेंके थे, उन्हें और ठेले पर पत्थर भरकर लाने वालों को 5,000 रुपए दिए गए थे। इसके साथ ही SIT की केस डायरी में यह दावा भी किया गया है कि साजिशकर्ताओं द्वारा भीड़ बढ़ाने के लिए युवाओं के साथ-साथ नाबालिगों को भी हिंसा में शामिल किया गया था। नाबालिगों को सिर्फ हिंसा में आगे रखने और पत्थरबाज़ी करने के लिए रखा गया था।

वहीं, पुलिस की जाँच में यह भी पता चला है कि बिल्डर हाजी वसी और हयात जफर हाशमी ने हिंसा में फंडिंग के लिए संपत्ति बेचकर एक करोड़ 30 लाख रुपए एकत्रित किए थे। इसी से पत्थरबाजों को 1000 से 5000 रुपए तक का भुगतान किया गया था। SIT को पता चला है कि हिंसा के एक दिन पहले हाजी वसी ने 34 लाख रुपए की दो संपत्तियां बेची थीं। पुलिस इसकी भी छानबीन कर रही है। पुलिस इन सभी संपत्तियों की जाँच के लिए संबंधित विभाग से संपर्क कर रिपोर्ट तलब की है। इसके साथ ही SIT की केस डायरी में इस बात का भी खुलासा किया गया है कि पकड़े जाने पर दंगाइयों को मुफ्त कानूनी सहायता और उनके परिवार को आर्थिक मदद का भी आश्वासन दिया गया था। केस डायरी में आगे बताया गया है कि उपद्रवियों को हिंसा के लिए सात से नौ दिन की ट्रेनिंग भी दी गई थी।  

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, हिंसा कराने के लिए हाजी वशी के मैनेजर अफजाल ने पूरी टीम तैयार की थी और उपद्रवियों को 10 लाख रुपए अग्रिम भुगतान भी किया था। पूरे इलाके में हिंसा की साजिश कुछ इस तरह रची गई थी कि हयात जफर हाशमी और निजाम कुरैशी को बंदी सफल कराने के निर्देश दिए गए थे, तो वहीं बाबा बिरयानी का मालिक मुख्तार अहमद, उसका बेटा महमूद, हाजी वशी और मैनेजर अफजाल दंगे का पूरा प्रबंधन संभाल रहे थे और हिंसा कराने के लिए पूरी तैयारियों का जिम्मा भी उनके ही पास था।

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