नई दिल्ली : लगता है आज पीएम नरेंद्र मोदी राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव के लिए पूरी तैयारी करके आए थे. एक ओर उन्होंने अपनी सरकार की उपलब्धियों का आंकड़ों के साथ बखान किया, वहीं दूसरी ओर विपक्ष पर भी शब्दों के ऐसे तीर छोड़े कि वह सिर्फ बिलबिलाकर ही रह गया. एक दो बार जरूर हल्का हंगामा हुआ लेकिन अमूमन पीएम का पूरा भाषण अच्छे से सुना गया.
देश की जनशक्ति का सामर्थ्य क्या है, गांव गरीब किसान की जिंदगी, किस प्रकार से बदल रही है, उसका एक विस्तार से खाका सदन में रख राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद देकर आभार व्यक्त करने के बाद पीएम मोदी ने अपने भाषण की शुरुआत ही राहुल गांधी पर तंज कसते हुए कहा कि आखिर भूकंप आ ही गया. मैं सोच रहा था कि भूकंप आया कैसे? क्योंकि धमकी तो बहुत पहले सुनी थी. कोई तो कारण होगा कि धरती मां इतनी रूठ क्यों गईं? मैं सोच रहा था कि आखिर भूकंप आया क्यूं, जब कोई स्कैम में भी सेवा का भाव देखता है, नम्रता का भाव देखता है, सिर्फ मां ही नहीं धरती मां भी दुखी हो जाती है. तब जाकर भूकंप आता है. पीएम मोदी ने देश में एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव की वकालत करते हुए सभी दलों से राष्ट्रपति के इस विचार पर चर्चा के लिए एक साथ आने का आह्वान किया, क्योंकि इससे देश का खर्च घटेगा.
खड़गे को घेरते हुए मोदी ने कहा कि खड़गे कह रहे थे कि कांग्रेस की कृपा है कि आप पीएम बन पाए. वाह क्या शेर सुनाया, बहुत बड़ी कृपा की. आपने लोकतंत्र बचाया, लेकिन उस पार्टी के लोकतंत्र को देश भली भांति जानता है. पूरा लोकतंत्र एक परिवार को आहूत कर दिया गया है.1975 के आपातकाल के दुर्दिनों का जिक्र करके विपक्ष को लोकतंत्र में जन शक्ति की महत्ता दिखाकर निरुत्तर कर दिया. पीएम ने कहा हम कुत्तों वाली परंपरा में नहीं पले-बढ़े. जब कांग्रेस पार्टी का जन्म भी नहीं हुआ था, 1857 का संग्राम, इस देश के लोगों ने जान की बाजी लगाकर लड़ा था. सबने मिलकर लड़ा था. संप्रदाय की भेद रेखा नहीं थी, तब भी कमल था, आज भी कमल है.
लालबहादुर शास्त्री के अन्नत्याग के आव्हान से जनशक्ति के दर्शन का बोध कराकर उसे गैस सब्सिडी छोड़ने के आव्हान से जोड़कर देश में 1 करोड़ 20 लाख देशवासी द्वारा गैस सब्सिडी छोड़ने का भी उल्लेख कर दिया. आजादी सिर्फ एक परिवार ने दिलाई, इसका विरोध कर सबके योगदान को याद किया. पीएम ने अपने भाषण में स्वच्छता ,जल्द बजट पेश करने के बिंदुओं और रेलवे बजट की 1500 घोषणाओं की खामियों का भी उल्लेख कर कहा कि खुश करने के लिए रेलवे बजट बनाए जाते थे. ये ऐसी चीजें थी जिनका कागज पर ही मोक्ष हो गया था. मुझे ऐसी गाड़ी नहीं चलानी है. मुझे फैसले लेने है, अच्छे फैसले लेने हैं. वहीं नोटबन्दी पर विपक्ष के चर्चा से पीछे हटने का जिक्र कर पीएम ने कहा कि 2014 के पहले का वक्त देख लीजिए, वहां से आवाज उठती थी, कोयले में कितना खाया, टू-जी में कितना गया, जल, वायु भ्रष्टाचार में कितना गया, कितने लाख, कितने करोड़ गए. अब वहां से आवाज आती है कि मोदी जी कितना लाए, कितना लाए. ये मेरे लिए खुशी की खबर है.
बेनामी संपत्ति के कानून में कांग्रेस की लेतलाली को उजागर कर पीएम ने सवाल उठाया कि 1988 में जब राजीव गांधी जी पीएम थे, दोनों सदन में बहुमत था. पंचायत से पार्लियामेंट तक सबकुछ आपके कब्जे में था. तो आपने बेनामी संपत्ति का कानून बनाया, आपको जो ज्ञान हुआ क्या कारण था कि 26 साल तक कानून को नोटिफाइ नहीं किया?नोटबंदी से पहले इस सरकार ने कानून बनाया. आप कितने ही बड़े क्यों न हो, मैं इस रास्ते से पीछे लौटने वाला नहीं हूं. जियो के बारे में उठे सवाल पर बोले जिसकी एजेंसी होगी, वो बोलेंगे. वही यह भी कहा कि हमें चुनाव नहीं देश की चिंता है.
भाषण के दौरान संस्कृत की कर्ज लेकर घी पीने वाली कहावत के जरिये मोदी ने भगवत मन को लपेटते हुए कहा कि भगवंत मान, इस वक्त कुछ और पीने के लिए कहते.बता दें मान पर संसद में शराब पीकर आने का आरोप है. नोटबन्दी को सही ठहराते और केशलेस के लाभ भी गिनाए.
बता दें कि इसके पूर्व राष्ट्रपति के अभिभाषण पर सोमवार को लोकसभा में चर्चा की शुरुआत हुई थी. केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा ने चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि देश के हित में इस सरकार ने बड़े फैसले लिए हैं. राष्ट्रपति के अभिभाषण पर सोमवार को लोकसभा में चर्चा की शुरुआत हुई थी. केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा ने चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि देश के हित में इस सरकार ने बड़े फैसले लिए हैं. जवाब में उतरे लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकाजुर्न खड़गे. खड़गे ने कहा कि देश में लोकतंत्र को बचाए रखने के लिए ग्रेस नेता ने कहा कि कांग्रेस ने 70 सालों तक लोकतंत्र को बचाए रखा.. एक घंटा 40 मिनट लंबे भाषण के दौरान सत्ता पक्ष से कई बार नोकझोंक भी हुई.
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