रायपुर: 10 नवंबर, रविवार को छत्तीसगढ़ के रायगढ़ में कथित जबरन धर्म परिवर्तन का मामला सामने आया, जिससे तनाव पैदा हो गया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, विश्व हिंदू परिषद और अन्य हिंदू संगठनों के सदस्य उस घर के बाहर इकट्ठा हो गए, जहां कथित रूप से सामूहिक रूप से धर्म परिवर्तन किया जा रहा था। उन्होंने आरोपियों के खिलाफ नारेबाजी की और पुलिस को बुलाया।
पुलिस ने मौके पर पहुंचकर तीन मंजिला इमारत से महिलाओं और बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाला। इस मामले में पुलिस ने दो व्यक्तियों, शाऊल नागा और इंद्रजीत खरे को गिरफ्तार किया है और 10 अन्य को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है। हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं का आरोप था कि आयोजक हिंदू महिलाओं और पुरुषों को वित्तीय और स्वास्थ्य लाभ का वादा करके उन्हें ईसाई धर्म अपनाने के लिए बहका रहे थे। इस आयोजन में 100 से ज्यादा लोग मौजूद थे, जिसमें महिलाओं और बच्चों की संख्या अधिक थी। पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए मौके पर आकर कानून-व्यवस्था बनाए रखी। सीएसपी और एसडीएम के नेतृत्व में लगभग 30 पुलिसकर्मियों की टीम वहां मौजूद थी। पुलिस ने कहा कि मामले की जांच जारी है और कई लोगों को पूछताछ के लिए थाने लाया गया है।
स्थानीय लोगों के अनुसार, पिछले 15 दिनों से रायगढ़ के कोतवाली पुलिस स्टेशन में धर्म परिवर्तन को लेकर शिकायतें मिल रही थीं। जूटमिल पुलिस स्टेशन क्षेत्र में हाल ही में हुई घटना ने आक्रोश को और बढ़ा दिया। स्थानीय लोग आरोप लगा रहे थे कि पुलिस इस मामले में सक्रिय नहीं थी, जबकि नियमित रूप से प्रार्थना सभाएं हो रही थीं। छत्तीसगढ़ धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम, 1968 के तहत जबरन धर्म परिवर्तन करना एक अपराध है, जिसके लिए एक साल तक की जेल, 5,000 रुपये का जुर्माना या दोनों सजा हो सकती है। यदि यह अपराध नाबालिगों, महिलाओं या अनुसूचित जातियों/जनजातियों के साथ किया जाए, तो सजा दोगुनी हो सकती है।
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