वॉशिंगटन: अमेरिका ने शीर्ष भारतीय आईटी कंपनियों टीसीएस और इंफोसिस पर एच 1 बी वीज़ा नियमों के उल्लंघन कर लॉटरी प्रणाली में ज्यादा टिकट डाल कर एच 1 बी वीजा का एक बड़ा हिस्सा हथियाने का आरोप लगाया है. ज्ञात ही है कि अमेरिका का ट्रंप प्रशासन इन दिनों वीजा नियमों को और सख्त बनाने में लगा हुआ है.
बता दें कि गत सप्ताह ट्रंप सरकार के एक अधिकारी ने व्हाइट हॉउस में संवाददाताओं को बताया कि कुछ बड़ी आउटसोर्सिंग कंपनियां लॉटरी में ढेर सारे टिकट लगा देती हैं जिससे इस लॉटरी ड्रा में उनकी सफलता की गुंजाइश बढ़ जाती है.
व्हाइट हाउस की वेबसाइट पर डाली गयी बातचीत के अनुसार वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि टाटा, इंफोसिस और कोग्निजेंट जैसी कंपनियां को सबसे ज्यादा एच 1 बी वीजा मिलता है. वे बहुत ज्यादा संख्या में वीजा के लिए अर्जी लगाती हैं. इसके लिए जितने वीजा मिलेंगे वे लॉटरी में ज्यादा टिकट डालकर बड़ी संख्या में वीजा हासिल कर लेती हैं इस बारे में यह सवाल किए जाने पर की सिर्फ भारतीय कंपनियों का नाम ही क्यों लिया जा रहा है.इस पर व्हाइट हाउस का जवाब था कि सबसे ज्यादा वीजा जिन तीन कंपनियों को मिला है उनमें टाटा कंसलटेंसी सर्विसेज, इंफोसिस और कोग्निजेंट शामिल हैं.
यहां अधिकारी ने यह भी खुलासा किया कि इन तीनों कंपनियों में एच 1 बी वीजा वालों के लिए औसत वेतन 60,000 से 65000 डॉलर (प्रतिवर्ष) है. इसके विपरीत सिलिकन वैली में सॉफ्टवेयर इंजीनियरों का औसत वेतन करीब 150,000 डॉलर है. हालाँकि संबंधित तीनों भारतीय कंपनियों ने अमेरिका प्रशासन के बयान पर कोई भी टिप्पणी करने से मना कर दिया.
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