वाशिंगटन: दिनों दिन पूरी दुनिया में अपने खौफ को फैलता हुआ कोरोना वायरस ने अब और भी तेजी पकड़ ली है. जंहा इसकी चपेट में आने से हजारों लोगों की जान भी ले चुका है. वहीं इस वायरस के चलते लाखों लोग संक्रमित ही चुके है. कोरोना वायरस का कहर अमेरिका में बढ़ता ही जा रहा है. अगले दो सप्ताह में कोरोना वायरस का प्रकोप और बढ़ने की आशंका जताई जा रही है. इस खतरे को देखते हुए अमेरिका के खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ने कोरोना वायरस के मरीजों के इलाज के लिए आपातकाल में मलेरिया की दो दवाओं के सीमित प्रयोग को स्वीकृति दी है. बता दें कि कोरोना वायरस की अभी तक कोई दवाई या वैक्सीन ईजाद नहीं हो पाई है.
मिली जानकारी के अनुसार कुछ दिनों पहले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इन दो दवाओं को महत्त्वपूर्ण बदलाव लाने वाला कहा था. रविवार को प्रकाशित एक बयान में, अमेरिका स्वास्थ्य एवं मानवीय सेवा मंत्रालय ने राष्ट्रीय संचय में दिए गए क्लोरोक्विन और हाइड्रोक्लोरोक्विन समेत अन्य दवाओं के हालिया दान की विस्तृत जानकारी दी. जंहा इस बात का पता चला है कि इन दोनों दवाओं के कोविड-19 मरीजों के इलाज में प्रयुक्त हो सकने की संभावना की जांच हो रही है.
वहीं यह भी कहा जा रहा है कि मंत्रालय ने बताया कि एफडीए ने इन्हें ' वितरित करने और डॉक्टरों द्वारा अस्पताल में भर्ती कोविड-19 के किशोर एवं वयस्क मरीजों के लिए लिखे जाने को उचित बताया है जब नैदानिक परीक्षण उलब्ध न हो या संभव न हो.' ट्रंप ने पिछले हफ्ते कहा था कि दोनों दवाएं 'ईश्वर का तोहफा' हो सकती हैं. हालांकि, वैज्ञानिक बार-बार आगाह करते रहे कि अप्रमाणित इलाजों को बढ़ा-चढ़ा कर बताने से खतरा पैदा हो सकता है.
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