नई दिल्ली: चीन के बाद अब जापान और अमेरिका समेत कई देशों में कोरोना से हालात बिगड़ने लगे हैं। जी हाँ, हालाँकि भारत में संक्रमण फिलहाल काबू में है लेकिन अधिकारियों का कहना है कि पिछले कुछ साल के ट्रेंड को देखते हुए जनवरी में कोरोना के मामले बढ़ सकते हैं। आप सभी को बता दें कि कोरोना टास्क फोर्स के प्रमुख डॉ. एनके अरोड़ा का दावा है कि भारत में हाइब्रिड इम्युनिटी की वजह से चीन जैसे हालात बनने की संभावना बहुत कम है। जी दरअसल COVID-19 के खिलाफ भारत की लड़ाई मजबूत 'हाइब्रिड इम्युनिटी' की वजह से पड़ोसी देश चीन की तुलना में बेहतर आकार ले रही है। जी हाँ और यह बात देश के वैक्सीन टास्क फोर्स के प्रमुख एनके अरोड़ा ने एक इंटरव्यू में कही। आपको बता दें कि भारत के नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप (NTAGI) के कोविड-19 कार्यकारी समूह के अध्यक्ष एनके अरोड़ा ने यह भी बताया कि चीन के टीकाकरण की स्थिति, कोरोना केसों की गंभीरता और वहां फैलने वाले वैरिएंट्स की जानकारी में भारी गड़बड़ियां हैं।
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हालाँकि महामारी की शुरुआत से टीकाकरण अभियान की योजनाओं के साथ निकटता से जुड़े एनके अरोड़ा ने यह भी कहा, ''चीन की स्थिति ने हमें फिर से उच्च स्तर पर सावधानी बरतने और कोरोना के खिलाफ सक्रिय होने के लिए प्रेरित किया है। हमें किसी भी हालत में एक पल के लिए भी लड़खड़ाना नहीं है।'' आगे उन्होंने कहा कि भारत कई वजहों से चीन की तुलना में महामारी से लड़ने के मामले में बेहतर स्थिति में है। जी हाँ और आगे उन्होंने यह भी कहा- 'उनमें एक वजह हाइब्रिड इम्युनिटी है जो टीकाकरण और नैचुरल इम्युनिटी (बीमारी के बाद पैदा होने वाली इम्युनिटी) का मिश्रण है। नैचुरल इम्युनिटी तब पैदा होती है जब आप किसी रोगाणु से संक्रमित हो जाते हैं और आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली इससे लड़ने के लिए एंटीबॉडी बनाती है। संक्रमण से आप बीमार होते हैं लेकिन अगर आप भविष्य में उस विषाणु या जीवाणु के संपर्क में आते हैं तो आपके शरीर का इम्यून सिस्टम उसे पहचान लेता है और शरीर की एंटीबॉडी उससे लड़ने लगती हैं। इससे आपके दोबारा संक्रमित होने या बीमार पड़ने की संभावना कम हो जाती है।'
आगे डॉ। अरोड़ा ने कहा, ''हर्ड इम्युनिटी एक जटिल मामला है। हमें उसमें जाने की जरूरत नहीं है। भारत में मजबूत हाइब्रिड इम्युनिटी है। भारत ने संक्रमण की लहरों के बाद लहरें देखी हैं और कई लोग संक्रमण के संपर्क में आए हैं।''
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इसी के साथ उन्होंने कहा कि भारत में 12 साल से कम उम्र के कम से कम 96 फीसदी बच्चे कोविड के संपर्क में आ चुके हैं जिससे प्राकृतिक प्रतिरोधक क्षमता विकसित हुई है। साथ ही भारत में लोगों को कोरोना वैक्सीन की दो खुराक मिल चुकी हैं जिससे भी फायदा होगा। आगे उन्होंने यह भी कहा कि भारत का जीनोमिक सर्वेलांस (कोरोना वायरस के प्रसार और बदलाव की निगरानी) हर चीज में शीर्ष पर है। इसके अलावा डॉ. अरोड़ा ने यह भी कहा कि जिन लोगों को पहले से ही बूस्टर खुराक मिल चुकी है, वो CoWIN पर नेजल वैक्सीन के लिए रजिस्ट्रेशन नहीं करा पाएंगे। उन्होंने लोगों को दूसरा बूस्टर ना लेने की चेतावनी दी।
आपको बता दें कि BF.7 वैरिएंट की चिंताओं पर डॉ अरोड़ा ने बात करते हुए कहा कि चीन कई वैरिएंट के मिश्रण का सामना कर रहा है और BF.7 वहां के केवल 15 प्रतिशत मामलों के लिए जिम्मेदार है। इसके अलावा उन्होंने 48 घंटे पहले की एक रिपोर्ट का हवाला दिया जिसमें कहा गया था कि चीन कोरोना के कई वैरिएंट के मिश्रण के हमले का सामना कर रहा है। वहां 50 प्रतिशत मामले बीएन और बीक्यू सीरीज के वायरस की वजह से हैं जबकि10-15 प्रतिशत केस एसवीवी वैरिएंट से फैले हैं। ऐसे में उन्होंने आगे कहा, ''उन लोगों को जो चाइनीज वैक्सीन मिली है, वो शायद कारगर नहीं है।''
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