फेंगशुई का उपयोग आज कल बहुत तेजी से बढ़ गया है। खासकर लोग इनको अपनी समस्यायों के समाधान के लिए ज्यादा प्रयोग करते हैं, फेंगशुई का प्रयोग हम एकाग्रता बढ़ाने के लिए भी कर सकते हैं, जानते हैं कैसे?
अपनी स्टडी रूम में हरे पौधों का प्रयोग करें।
स्टडी रूम या घर में कहीं टूटे खिलौने हैं तो उन्हे तुरंत हटा दें, क्योंकि इनसे उत्पन्न नकारात्मक ऊर्जा नाक, कान, गला व आंख के इंफेक्शन का कारण होती है।
स्टडी रूम व घर में कहीं भी बंद घडिय़ां नहीं होनी चाहिए, क्योंकि ये नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करती हैं और अगर किसी कारण से आप इन्हें फेंकना या बेचना नहीं चाह रहे हैं तो इन्हे ठीक करा लें।
अपनी टेबल पर ग्लास, क्रिस्टल की वस्तुएं रखें जैसे कांच के हनुमान जी, गणेश जी, पिरमिड, प्रिज्म, और एजुकेशन टावर रखें।
सकारात्मक ऊर्जा और पढ़ाई में एकाग्रता के लिए पढ़ाई के कमरे के दक्षिण-पूर्व कोने में मनी प्लांट लगाएं तथा उत्तर-पूर्व दिशा में फिश एक्वेरियम रखें।
विधार्थी अपनी स्टडी टेबल पर ईशान कोण में ग्लास हैंडीक्राट की मूर्ति रखें, इससे शिक्षा और ज्ञान में वृद्धि होती है व अपेक्षित परिणाम मिलते है। उनके मित्र भी सक्रिय होकर उनकी मदद करते हैं।
विधार्थी अपनी पूर्व की दीवार साफ-सुथरी रखें। हरा बल्ब, हरा पौधा, हरा पिरामिड पूर्व में रखें। बैंबू प्लांट भी रख सकते हैं।
स्टडी रूम के लिहाज से पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा का कमरा बेहतर माना जाता है। साथ ही अगर बच्चा ईशाण कोण या उत्तर-पूर्व दिशा की ओर मुंह करके पढ़ता है तो परिणाम बेहतर होंगे। ऐसे में कमरे की इस दिशा में क्वाट्र्ज क्रिस्टल को रखें। इससे सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहेगा।
शतरंज-रणनीति, किताबें-अध्ययन, पेंटिंग-रचनात्मकता और बांसुरी-संगीत का प्रतिनिधित्व करता है। लिहाजा स्टडी रूम के उत्तर-पूर्व दिशा में इन चिन्हों को रखने से शैक्षणिक सफलता मिल सकती है।
कई बार कमरे में सारी चीजें सही दिशा और सही जगह पर रहने के बाद भी सकारात्मक प्रभाव नहीं मिलता। ऐसे इसलिए होता है कि क्योंकि कमरे में स्थिरता आ जाती है। ऐसे में कमरे को पुन:व्यवस्थित करें और चीजों को नए क्रम में सजाएं। साथ ही सप्ताह में एक बार बच्चों के स्टडी रूम में नमक के पानी से पोछा लगाएं। इससे भी कमरे में पॉजिटिव माहौल बना रहता है।
बच्चों के अध्ययन कक्ष में यदि आईना है तो उसे इस तरह से न रखें कि पढ़ाई करते वक्त उसमें बच्चों की परछाई पड़े, क्योंकि इससे बच्चों की पढ़ाई का बोझ दोगुना हो सकता है।