अमृतसर: सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील एचएस फूलका ने श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार को पत्र लिखकर एक सुझाव दिया है कि विश्व भर की अलग-अलग डिक्शनरियों में सिख पंथ के जगह पर सिख धर्म का उपयोग किया जाए। जत्थेदार को लिखे एक पत्र में वकील एचएस फूलका ने बताया कि यह उनके निजी विचार हैं। सिख विद्वानों की एक कमेटी का गठन किया जाए जो इस मुद्दे पर विचार करें। ताकि भविष्य में कोई भी सिख पंथ की गलत व्याख्या न कर सके।
श्री अकाल तख्त को लिखे पत्र में वकील एचएस फूलका ने ज्ञानी हरप्रीत सिंह को याद दिलाया हैं कि उन्होंने 14 नवंबर को एक पत्र उन्हें लिखा था। सुप्रीम कोर्ट ने इस पत्र के द्वारा अयोध्या में राम मंदिर भूमि के बारे में दिए गए निर्णय में उपयोग किए गए शब्द सिख ‘कल्ट’ के बारे में लिखा गया था। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के पैरा नंबर 154-155 में साफ लिखा है कि सिख मूर्ति पूजा में विश्वास नहीं करते हैं। उनका विश्वास श्री गुरु ग्रंथ साहिब में है। फैसले में सिख धर्म का भी उल्लेख किया गया है। इस फैसले के साथ 116 पन्ने का एक अलग जोड़ लगा हुआ है जिसमें किसी भी जज के हस्ताक्षर नहीं है। इन पन्नों में राजिंदर सिंह की गवाही का उल्लेख किया गया है।
राजिंदर सिंह ने अपनी गवाही में कहा है कि उन्होंने सिख कल्ट के बारे में कई किताबें पढ़ी हैं। इससे प्रतीत होता है कि राजिंदर सिंह ने अपनी गवाही में ‘सिख पंथ’ शब्द का उपयोग किया होगा लेकिन अनुवाद करते समय पंथ के लिए कल्ट शब्द का प्रयोग किया गया होगा। फूलका ने कहा कि उनसे इस शब्द के अर्थ के बारे में कई बार पूछा गया है।
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