काबुल: दुबई में भारत और तालिबान शासित अफगानिस्तान के बीच एक महत्वपूर्ण उच्चस्तरीय वार्ता हुई, जहां विदेश सचिव विक्रम मिस्री और अफगानिस्तान के विदेश मंत्री मौलवी आमिर खान मुत्ताकी ने अहम बैठक की। यह बातचीत अगस्त 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद दोनों देशों के बीच पहली द्विपक्षीय वार्ता थी। बैठक में दोनों देशों के रिश्तों, सुरक्षा चिंताओं और भविष्य के विकास परियोजनाओं पर चर्चा की गई।
दरअसल , शुरू से ही भारत की सबसे बड़ी फ़िक्र, अफगानिस्तान की धरती से भारत विरोधी गतिविधियों को रोकने को लेकर रही है। भारत ने इस बार अफगानिस्तान के सामने इस मुद्दे को पूरी ताकत से उठाया, जिस पर अफगान विदेश मंत्री ने भारत को भरोसा दिलाया कि उनकी धरती का इस्तेमाल भारत विरोधी आतंकी साजिशों के लिए नहीं होने दिया जाएगा। यह बयान पाकिस्तान के लिए एक कड़ा संदेश माना जा रहा है, जो अक्सर भारत के खिलाफ साजिशें रचने के लिए अफगानिस्तान को इस्तेमाल करने की कोशिश करता रहा है।
इससे पहले भारत ने अफगानिस्तान के प्रति अपनी मदद और समर्थन को दोहराते हुए मानवीय सहायता के तहत 50,000 मीट्रिक टन गेहूं, 300 टन दवा, और कोविड वैक्सीन की 15 लाख डोज़ सहित अन्य राहत सामग्रियां भेजी हैं। अफगान विदेश मंत्री ने भारत की इन सहायता परियोजनाओं की सराहना की और दोनों देशों के बीच दोस्ती को और मजबूत करने की इच्छा जताई। इसके साथ इस इस द्विपक्षीय वार्ता में चाबहार बंदरगाह के इस्तेमाल पर भी चर्चा हुई, जो अफगानिस्तान के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीतिक परियोजना है। इसके अलावा, भारत-अफगानिस्तान के बीच क्रिकेट को बढ़ावा देने पर भी सहमति बनी।
यह वार्ता ऐसे समय पर हुई है जब भारत ने अफगानी क्षेत्र में पाकिस्तान के हालिया हवाई हमलों की कड़ी निंदा की थी। इन हमलों में कई बेकसूर लोगों की जान गई थी। भारत ने इस हमले को पाकिस्तान की आंतरिक असफलताओं का परिणाम बताते हुए कहा कि पाकिस्तान अपनी नाकामियों का ठीकरा हमेशा पड़ोसियों पर फोड़ने की कोशिश करता है।
तालिबान सरकार ने भी पाकिस्तान को अप्रत्यक्ष रूप से करारा जवाब देते हुए स्पष्ट कर दिया कि अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल भारत विरोधी गतिविधियों के लिए नहीं होगा। यह संदेश भारत और अफगानिस्तान के बीच सहयोग को और गहरा करने का संकेत देता है। भारत और अफगानिस्तान के बीच यह बातचीत न केवल द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊंचाई पर ले जाने का प्रयास है, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता के लिए भी एक सकारात्मक पहल है।