लखनऊ: उत्तर प्रदेश की गवर्नर आनंदीबेन पटेल ने अपने दफ्तर का एक-डेढ़ साल पूरा करने पर नए रूपांतरण-विरोधी कानून और महिलाओं की सुरक्षा पर मीडिया से बात की। उन्होंने कार्यभार संभालने के फ़ौरन बाद आपने विश्वविद्यालय की शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए सख्त कदम उठाए, लेकिन फिर महामारी शुरू होते ही सब बदल गया।
गवर्नर आनंदीबेन पटेल ने कहा कि, कार्यभार संभालने के बाद मैंने विश्वविद्यालयों के कामकाज, कुलपतियों की नियुक्ति के संबंध में पूछताछ शुरू की और पाया कि 2014 से अब तक 260 फाइलें लंबित हैं और एक बार जब मैंने इन फाइलों को देखना आरंभ किया, तो मुझे पता चला कि विसंगतियां हो रही हैं। चीजें सुव्यवस्थित होने लगीं। किन्तु फिर कोरोना आया और जो नतीजे तय किए गये थे वह नहीं आ सके।
नया धर्मांतरण-विरोधी कानून और महिलाओं के अपने साथी का फैसला करने का अधिकार पर पूछे गए प्रश्न पर गवर्नर ने कहा जब भी कोई विधेयक आता है तो वह ऐसे ही नहीं आता है। एक सर्वे किया गया था, जिसमें दिखाया गया है कि कितनी लड़कियों ने शादी की, कितनी तकलीफों का सामना किया, कितनी लड़कियों ने वापसी की, कितनी लड़कियों ने शिकायतें दर्ज कराईं। यहां तक कि माता-पिता गिरफ्तारी की मांग करते हुए सामने आते हैं, यह इल्जाम लगाते हुए कि लड़के ने अपना नाम बदल दिया।
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