नई दिल्ली: कोरोना वायरस के बाद अब मंकीपॉक्स (Monkeypox) को लेकर पूरे विश्व में हड़कंप मचा हुआ है। यूरोप से लेकर अमेरिका तक मंकीपॉक्स के केस लगातार बढ़ते जा रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी इसे गंभीरता से लेते हुए आपात बैठक की। वहीं, अब मंकीपॉक्स को लेकर भारत भी अलर्ट हो गया है। आबादी के लिहाज से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में इसे लेकर एडवाइजरी जारी की गई है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेश के सभी जिलों के जिलाधिकारी और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को अलर्ट कर दिया है। मंकीपॉक्स को लेकर स्वास्थ्य विभाग की तरफ से एडवाइजरी भी जारी की गई है। उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग की तरफ से जारी की गई एडवाइजरी में इस बीमारी के लक्षणों के संबंध में जानकारी दी गई है।
स्वास्थ्य विभाग की तरफ से जारी की गई एडवाइजरी में ये निर्देश दिए गए हैं कि बुखार और शरीर पर चकत्ते हों तो संबंधित मरीज की जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी के कार्यालय के साथ शेयर की जाए। स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी एडवाइजरी के अनुसार, मंकीपॉक्स से संक्रमित मरीजों के शरीर में छाले निकल आते हैं। मंकीपॉक्स पीड़ितों में ये लक्षण दो से चार सप्ताह तक रहते हैं।
क्या है मंकीपॉक्स: मंकीपॉक्स एक ऑर्थोपॉक्सवायरस है, जो चेचक जैसा ही है। मंकीपॉक्स अधिकतर जानवरों से इंसानों में फैलता है। यह एक वायरल इन्फेक्शन है, जो पहली दफा 1958 में कैद किए गए बंदर में पाया गया था। 1970 में पहली बार इंसान में मंकीपॉक्स के संक्रमण पाया गया था।
मंकीपॉक्स के लक्षण: इसके शुरुआती लक्षण फ्लू की तरह होते हैं। इनमें बुखार, सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, कमर दर्द, कंपकंपी, थकान शामिल हैं। इसके बाद चेहरे पर मवाद भरे दाने उभरने लगते हैं, जो शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल जाते हैं और कुछ दिन बाद सूखकर गिर जाते हैं। WHO के मुताबिक, मंकीपॉक्स के लक्षण संक्रमण के 5वें दिन से 21वें दिन तक आ सकते हैं। मंकीपॉक्स संक्रमित जानवरों या संक्रमित मनुष्यों के शरीर से निकले फ्लूइड (छींक, लार) के संपर्क में आने से फैल सकता है। इस वायरस के फैलने की अनुमानित दर 3.3 से 30 फीसद बताई गई है। आमतौर पर मंकीपॉक्स एक इंसान से दूसरे इंसान के संपर्क में आने से फैलता है। यह वायरस किसी सतह, बिस्तर, कपड़े या सांस के माध्यम से अंदर जा सकता है। त्वचा से त्वचा के संपर्क से भी यह वायरस फैलता है।
मंकीपॉक्स का उपचार: इस वायरस के संपर्क में आने वाले लोगों को अक्सर चेचक टीकों की कुछ डोज़ दी जाती है। इसके साथ ही, वैज्ञानिक इसकी एंटीवायरल दवाएं बनाने में भी लगे हुए हैं। यूरोपियन सेंटर फॉर डिजीज प्रिवेंशन एंड कंट्रोल ने मंकीपॉक्स के सभी मरीजों को अलग रखने और स्मालपॉक्स के वैक्सीन लगाने की सलाह दी है।
क्या है भारत की तैयारी: मंकीपॉक्स को लेकर केंद्र सरकार भी चिंतित नज़र आ रही है। तेजी से फैलते संक्रमण के मद्देनज़र नेशनल सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (NCDC) और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) को अलर्ट जारी कर दिया गया है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने हवाई अड्डों और बंदरगाहों के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि मंकीपॉक्स प्रभावित देशों की यात्रा करके लौटे किसी भी बीमार यात्री को फ़ौरन आइसोलेट करें और सैंपल जांच के लिए पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) को भेजें।
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