लखनऊ: उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद के कौशांबी थाना क्षेत्र की एक महिला की दर्दनाक कहानी समाज में बढ़ते धोखे और छल को उजागर करती है। इस महिला का आरोप है कि उसे शादी के बहाने धोखा दिया गया और उसकी धार्मिक पहचान को बदलने के लिए मजबूर किया गया। 2007 में उसकी मुलाकात एक व्यक्ति से हुई, जिसने खुद को 'आयुष्मान' के नाम से प्रस्तुत किया। दोनों के बीच दोस्ती बढ़ी और 2014 में उन्होंने हिंदू रीति-रिवाज से शादी कर ली।
महिला को तब यह नहीं पता था कि 'आयुष्मान' असल में 'उस्मान खान' था, जिसने अपनी असली पहचान छिपाई थी। शादी के कुछ समय बाद उस्मान ने उसे मस्जिद ले जाकर जबरन धर्म परिवर्तन करा दिया। और इसके बाद उसकी प्रताड़ना शुरू हो गई, आखिरकार महिला ने किसी तरह पुलिस में जाकर उसकी शिकायत की, तब जाकर मामला उजागर हुआ। और पुलिस ने उस्मान को गिरफ्तार कर लिया। यह मामला सिर्फ एक व्यक्तिगत धोखा नहीं, बल्कि इससे जुड़े सामाजिक और धार्मिक सवाल भी उठाता है। देशभर में ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं, जहां पहचान छिपाकर या झूठे वादे करके शादी और फिर धर्म परिवर्तन का खेल खेला जा रहा है। बावजूद इसके, कुछ नेता और राजनीतिक दल इन घटनाओं को नज़रअंदाज़ कर रहे हैं, संभवतः अपने वोट बैंक की राजनीति के चलते।
यह सवाल उठता है कि क्या इस तरह की घटनाएं देश की बहुसंख्यक आबादी के खिलाफ एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा हैं? ऐसे मामलों की लगातार बढ़ती संख्या चिंता का विषय है, और इसकी गहरी जांच और जिम्मेदार कार्रवाई की आवश्यकता है। लेकिन वोट बैंक की राजनीति में उलझे नेता इस गंभीर मुद्दे पर ध्यान देने के बजाय इसे नकार रहे हैं, जो समाज में असंतुलन पैदा कर सकता है। समाज के सभी वर्गों को इस समस्या पर जागरूक और सतर्क होने की जरूरत है, ताकि ऐसे धोखे और अन्याय के खिलाफ सख्त कदम उठाए जा सकें।
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