लखनऊ: हाथरस मामले की आड़ लेकर उत्तर प्रदेश की योगी और केंद्र की मोदी सरकार को विश्व में बदनाम करने के षड्यंत्र का पर्दाफाश हुआ है. यूपी में जातीय दंगे कराने के लिए हाथरस पीड़िता की मौत वाली रात ही एक 'वेबसाइट' तैयार कर ली गई थी. दंगे की इस वेबसाइट के लिंक एमनेस्टी इंटरनेशनल जुड़ रहे हैं. इस वेबसाइट को इस्लामिक देशों से बड़े पैमाने पर फंडिंग भी मिली. इस मामले में जांच एजेंसियों के हाथ महत्वपूर्ण और चौंकाने वाले सुराग लगे हैं.
''जस्टिस फॉर हाथरस'' नाम से बनी वेबसाइट में फर्जी आईडी के जरिए हजारों लोगों को जोड़ा गया था. बेवसाइट पर विरोध प्रदर्शन की आड़ में देश और प्रदेश में दंगे कराने और दंगों के बाद बचने के तरीके के बारे में विस्तार से बताया गया था. सहायता के बहाने दंगों के लिए फंडिंग की जा रही थी. फंडिंग की बदौलत अफवाहें फैलाने के लिए मीडिया और सोशल मीडिया के गलत इस्तेमाल के सुराग भी जांच एजेंसियों को मिले हैं. जांच एजेंसियों को इस देंगे की वेबसाइट पर काफी सारे आपत्तिजनक कॉन्टेंट मिले हैं. इस बेवसाइट ने वालंटियरों की सहायता से हेट स्पीच और भड़काऊ सियासत की स्क्रिप्ट तैयार की.
सरकार को भेजी गई खुफिया रिपोर्ट की मानें तो अमेरिका में ''ब्लैक लाइव्स मैटर'' दंगों की तर्ज पर ही थी, हाथरस की घटना को लेकर भारत में जातीय दंगे कराने का बहुत बड़ा षड्यंत्र रचा जा रहा था. बहुसंख्यक समाज में फूट डालने के लिए मुस्लिम देशों और इस्लामिक कट्टरपंथी संगठनों से ''जस्टिस फॉर हाथरस'' वेबसाइट के लिए जमकर फंडिंग हुई. CAA हिंसा में शामिल उपद्रवियों और राष्ट्रविरोधी तत्वों ने सीएम योगी से बदला लेने के लिए दंगे की यह वेबसाइट बनाई थी. शासन को भेजी गई खुफिया रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में ''ब्लैक लाइव्स मैटर'' दंगों की तर्ज पर ही हाथरस की घटना को लेकर देशभर में जातीय दंगे भड़काने की बहुत बड़ी साजिश रची जा रही थी.
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