नई दिल्ली : आखिरकार महिलाओं को तीन तलाक से निजात से. अब एक साथ तीन तलाक देना दंडनीय अपराध की श्रेणी में शामिल हो गया है. कोई भी अपनी पत्नी को तीन तलाक बोलकर उसे तलाक नहीं दे पायेगा अगर ऐसा होता है तो उसे तीन साल तक की सजा काटनी होगी. इसे दंडनीय अपराध बनाने वाले बिल को क़ानूनी रूप दे दिया गया है और मंजूरी देते हुए अध्यादेश पर बुधवार देर रात राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने हस्ताक्षर कर दिए हैं और तभी से ये लागू भी हो गया है.
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जानकारी के लिए बता दें, सरकार के अनुसार उत्तर प्रदेश में तीन तलाक के मामले सबसे ज्यादा सामने आये हैं. साल 2017 में करीब 120 मामले उत्तर प्रदेश से सामने आये थे इसके बाद से अब तक 120 मामले सरकार के ज्ञान में है. इसके अलावा इन मामलों के आंकड़े देख सकते हैं जहाँ आपको दिल्ली और छत्तीसगढ़ में कम ही देखने को मिले हैं जिनमें मध्य प्रदेश की सांख्य सबसे ज्यादा पाई गई है. ये हैं मामले -
मध्य प्रदेश | 37 |
झारखंड | 35 |
महाराष्ट्र | 27 |
बिहार | 19 |
असम | 11 |
तेलंगाना | 10 |
जम्मू-कश्मीर | 07 |
हरियाणा | 4 |
दिल्ली | 1 |
छत्तीसगढ़ | 1 |
इसमें बड़ी बात ये है कि सुप्रीम कोर्ट के वकील डी. के. गर्ग ने बताया- तीन तलाक के पहले भी जो महिलाएं सताई हैं वो नए बने हुए कानून के आधार पर इंसाफ के लिए कोर्ट जा सकती हैं क्योंकि उनके पास इसके अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है. तीन तलाक ख़त्म होने से महिलाओं में राहत देखने को मिल रही है.
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