महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास राज्यमंत्री रेखा आर्य ने विभागीय सचिव को महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग के मुख्यालय में डिप्टी डायरेक्टर सुजाता सिंह को पद से हटाने के निर्देश दिए हैं। साथ ही उनके 1992 से अब तक के पूरे सेवाकाल की हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश से जांच कराने को कहा गया है। राज्यमंत्री आर्य ने संबंधित अधिकारी को महिला छात्रावास हरिद्वार में प्राचार्य के पद पर अटैच कर उनके वित्तीय अधिकारों पर भी रोक लगा दी है। आर्य ने बताया कि महिला अधिकारी पर 1992 से अब तक भ्रष्टाचार के कई आरोप हैं। वहीं, इनकी पहाड़ में जब भी पोस्टिंग की गई, इन्होंने वहां कार्यभार ग्रहण तो किया, लेकिन कुछ समय बाद वो फिर देहरादून में तबादला पा गईं। इसके अलावा 255 दिन तक बगैर बताए विभाग से गायब रहीं।
महिला अधिकारी पर निविदा आमंत्रित करने में भी गड़बड़ी का आरोप है। जिसमें लोकायुक्त से कार्रवाई के निर्देश हुए थे, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। बताया कि मुख्यालय में वर्ष 2008 में कार्यक्रम अधिकारी के पद पर रहते हुए आरोपी अधिकारी ने करीब एक करोड़ रुपये का एक्सपायरी डेट का नमक एक सप्ताह में बांटने को कहा था। जो छोटे बच्चों और गर्भवती महिलाओं के जीवन से खिलवाड़ था। जबकि जिला कार्यक्रम अधिकारी नैनीताल द्वारा इन्हें सूचित कर दिया गया था कि नमक एक्सपायरी डेट का है, जिसे वापस किया जाना चाहिए।मंत्री ने कहा कि संबंधित अधिकारी पर टिहरी और उत्तरकाशी जिलों में भी कई तरह की गड़बड़ी के आरोप हैं। बताया कि संबंधित अधिकारी के खिलाफ कई तरह की शिकायत थीं। जिन्हें गंभीरता से लिया गया।कहा कि आरोपी अधिकारी के खिलाफ शासन स्तर पर कई बार कार्रवाई के आदेश हो चुके हैं, लेकिन आरोपी का कुछ इस तरह का प्रभाव रहा है कि अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
आपकी जानकारी के लिए बता दें की मंत्री ने बताया कि जांच बैठाने के साथ ही आरोपी महिला अधिकारी की एकमुश्त सीआर (चरित्र प्रविष्टियों) को भी निरस्त कर दिया गया है।मेरे बारे में जो कहा जा रहा है वह गलत है। मैं विभाग में पहली ऐसी अधिकारी हूं जिसे प्रमोशन मिला है। रही छुट्टी की बात तो वह मंजूर हो चुकी है। जबकि नमक प्रकरण में मुझे क्लीन चिट मिल चुकी है। विभागीय मंत्री की ओर से मेरे बारे में पहले भी लिखा गया था। ऐसा नहीं है कि विभाग में मैं ऐसी पहली अधिकारी हूं जिसे परेशान किया जा रहा है, कुछ अन्य अधिकारियों को भी इसी तरह से परेशान किया जा रहा है। कुछ अधिकारी तो विभाग तक छोड़ चुकी हैं। लेकिन मेरे सामने समस्या यह है कि मैं विभाग छोड़कर कहां जाऊं।
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