देहरादून: तुर्की एवं सीरिया में 6 फरवरी को आए भूकंप ने जमकर हाहाकार मचाया है. अब भारत में भी इससे खतरनाक भूकंप आने की आशंका जताई गई है. यह भूकंप उत्तराखंड क्षेत्र में आने की आशंका जताई गई है. इसे लेकर राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान (NGRI) में भूकंप विज्ञान के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. एन पूर्णचंद्र राव ने चेतावनी दी है. उन्होंने चेतावनी देते हुए बोला है कि तुर्की से भी बड़े भूकंप का संकट उत्तराखंड पर मंडरा रहा है.
राव ने कहा है कि विनाश कई कारकों पर निर्भर करेगा जो एक भौगोलिक क्षेत्र से दूसरे भौगोलिक क्षेत्र में अलग होते हैं. उन्होंने कहा कि हमने उत्तराखंड पर केंद्रित हिमालयी क्षेत्र में तकरीबन 80 भूकंपीय स्टेशन स्थापित किए हैं. हम इसकी रियल टाइम निगरानी कर रहे हैं. हमारा डेटा दिखाता है कि तनाव बहुत वक़्त से जमा हो रहा है. उन्होंने कहा कि हमारे पास क्षेत्र में GPS नेटवर्क हैं. GPS पॉइंट हिल रहे हैं, जो सतह के नीचे होने वाले बदलावों का संकेत दे रहे हैं. राव ने कहा कि पृथ्वी के साथ क्या हो रहा है, यह तय करने के लिए वेरियोमैट्रिक जीपीएस डाटा प्रोसेसिंग विश्वसनीय तरीकों में से एक है.
राव ने जोर देकर कहा, 'हम सटीक एवं तारीख की भविष्यवाणी नहीं कर सकते मगर उत्तराखंड में कभी भी भारी भूकंप आ सकता है.' भारत के इस शीर्ष वैज्ञानिक की टिप्पणी बद्रीनाथ एवं केदारनाथ जैसे तीर्थ स्थलों के एंट्री गेट माने जाने वाले जोशीमठ में भू-धंसाव के बारे में बात करते हुए आयी है. ध्यान हो कि चार धाम यात्रा अगले दो महीने में आरम्भ हो जाएगी. इस के चलते लाखों भक्तों की भीड़ उत्तराखंड के पहाड़ों पर जुटती है. 8 और उससे ज्यादा तीव्रता का भूकंप बहुत विनाशकारी होता है. तुर्की में आए भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 7.8 मापी गई थी. जहां हजारों इमारतें जमींदोंज हो गई तथा मरने वालों का आंकड़ा 46 हजार के पार चला गया. उन्होंने कहा कि हिमालयी क्षेत्र जो जम्मू-कश्मीर से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक फैला हुआ है, यहां 8 से ज्यादा तीव्रता का भूकंप आने की आशंका है.
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