देहरादून: उत्तराखंड राज्य विधानसभा ने बुधवार (30 नवंबर) को बगैर किसी शोर-गुल के महिला आरक्षण, धर्म स्वतंत्रता और विनियोग विधेयक समेत कुल 15 विधेयक सर्वसम्मति से पारित कर दिए हैं। इन महत्वपूर्ण विधेयकों पर गवर्नर की मुहर लगने के बाद ये कानून की शक्ल धारण कर लेंगे। महिलाओं को सरकारी नौकरियों में 30 फीसद आरक्षण के लिए विधेयक पारित होने से एक बड़ी अड़चन दूर हो गई है। अभी तक महिलाओं को आरक्षण की सुविधा एक सरकारी आदेश के माध्यम से ही मिल रही थी, जिसे उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है।
रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तरराखंड विधानसभा ने जबरन या किसी लालच में कराए जाने वाले धर्मांतरण पर रोक के लिए उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक 2022 भी पास कर दिया है। बता दें कि, राज्य सरकार 2018 में धर्मांतरण के खिलाफ कानून बना चुकी है, किन्तु अब इसे और सख्त कर दिया गया है। इसे संज्ञेय अपराध बनाने के साथ ही अब गैर-जमानती भी बना दिया गया है। जबरन एकल धर्मांतरण में अब दो से सात वर्ष, जबकि सामूहिक धर्मांतरण पर 3 से 10 साल की सजा हो सकती है। अवयस्क महिला, SC, ST के धर्म परिवर्तन पर 2 से 10 वर्ष तक की सजा और 25 हजार रुपये जुर्माना, वहीं, सामूहिक धर्म परिवर्तन पर 3 से 10 साल तक की सजा और 50 हजार रुपये जुर्माना का प्रावधान है।
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने इस सबंध में कहा है कि, 'उत्तराखंड देवभूमि है, यहां पर धर्मांतरण जैसी चीजें बेहद खतरनाक है, इसलिए सरकार इस पर रोक के लिए सख्त कानून लेकर आई है। इस कानून को पूरी दृढ़ता से पूरे राज्य में लागू किया जाएगा। इसी प्रकार उत्तराखंड राज्य निर्माण में मातृशक्ति का अहम योगदान रहा है, सरकार ने यह पहले ही तय किया था कि विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले इस राज्य में मातृशक्ति का सम्मान करते हुए उन्हें इस क्षैतिज आरक्षण का फायदा दिया जाएगा।'
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