नैनीताल। इलेक्ट्राॅनिक वोटिंग मशीन्स में गड़बड़ी पर नैनीताल उच्च न्यायालय ने संज्ञान लिया है। इस मामले में न्यायालय द्वारा उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ने वाली विधानसभा सीट पर महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है। यह निर्णय ईवीएम के प्रयोग को लेकर सुनाया गया। दरअसल न्यायालय ने हरीश रावत की विधानसभा सीट समेत 6 विधानसभा क्षेत्रों की ईवीएम सील करने का आदेश दिया।
दरअसल ईवीएम के उपयोग को लेकर शिकायत आई थी कि इसकी हैकिंग औ टेंपरिंग की गई है। कुछ हैकर्स के तो नंबर तक न्यायालय में प्रस्तुत किए गए हैं। इसमें विकासनगर की सभी विधानसभा सीटें शामिल हैं। अब इस मामले में राज्य सरकार और चुनाव आयोग से 6 हफ्ते में जवाब देने को कहा है।
न्यायालय ने आदेश दिया कि ईवीएम को 48 घंटे के अंदर न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने स्ट्रांगरूम में रखा जाए साथ ही स्ट्रांगरूम्स को सुरक्षित रखने की व्यवस्था की जाए। मिली जानकारी के अनुसार न्यायालय ने आदेश दिया जिसके तहत देहरादून जिले की राजपुर रोड,रायपुर, मसूरी और हरिद्वार जिले की बीएचईएल रानीपुर, हरिद्वार ग्रामीण और टिहरी की प्रतापनगर विधानसभा क्षेत्रों की सभी ईवीएम में गड़बड़ी की शिकायत सामने आई थी।
गौरतलब है कि 11 मार्च को आए उत्तराखंड विधानसभा चुनाव परिणाम को लेकर हारे हुए कुछ प्रत्याशियों ने शिकायत की थी कि ईवीएम में गड़बड़ी है। परिणामों के मुताबिक सभी 6 सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की थीण् देहरादूनए हरिद्वार और टिहरी जिले की 6 सीटों पर हारे हुए प्रत्याशियों ने नैनीताल हाईकोर्ट में ईवीएम में टैम्परिंग की शिकायत की थीण् जिसके बाद आज हाईकोर्ट ने छह विधानसभा क्षेत्रों की सभी ईवीएम को सील करने का आदेश दिया है।
दरअसल सबसे पहले गड़बड़ी की शिकायत विकासन नगर से हरीश रावत सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे नवप्रभात ने की थी वे कांग्रेस उम्मीदवार के रूप मैदान में थे। भाजपा के मुन्ना सिंह चैहान ने उन्हें हराया था। इस शिकायत पर उच्च न्यायालय ने संज्ञान लिया और ईवीएम को सील करने को कहा। उच्च न्यायालय ने ईवीएम को सील करने के आदेश दिए। इसके साथ ही चुनाव जीतने वाले उम्मीदवारों से भी जवाब मांगा है।
इस मामले में न्यायमूर्ति सर्वेश कुमार गुप्ता ने मामले की सुनवाई की। दरअसल सारा मामला हरिद्वार और अन्य सीटों पर हुए विधानसभा चुनाव के दौरान ईवीएम के प्रयोग का है। हरिद्वार की ग्रामीण सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत कांग्रेस के कैंडिडेट थे जबकि भाजपा की ओर से यतीश्वारानंद उम्मीदवार थे। इस सीट पर भाजपा प्रत्याशी ने कांग्रेस उम्मीदवार को हराया था। मगर बाद में ईवीएम में गड़बड़ी की शिकायत की गई थी जिस पर चुनाव आयोग ने संज्ञान लिया। अब जीते हुए कैंडिडेट्स से 6 सप्ताह में जवाब मांगा गया है।
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