देहरादून: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के आदेश के पालन में शासन कितना गंभीर है, इसकी बानगी आदर्श सांसद ग्राम योजना के तहत सीएम की ओर से जांच के दिए गए आदेश को लेकर सामने आई है. सीएम ने 14 नवंबर को कमेटी का गठन कर 15 दिन में जांच करने का आदेश अधिकारियों को दिया था. हद यह हुई कि इस मामले में कमेटी का गठन ही चार दिसंबर को हुआ. जाहिर है कि जांच अभी जारी है.
जानकारी मिली है कि मामला उत्तराखंड के राज्यसभा सदस्य राज बब्बर की ओर से आदर्श सांसद ग्राम योजना के तहत चमोली में गैरसैंण के समीप लामबगड़ गांव का है. 14 नवंबर को आदर्श सांसद गांवों की समीक्षा बैठक सचिवालय में हुई थी और सांसद प्रतिनिधि मोहन नेगी की शिकायत थी कि गांव में विकास का काम अपूर्ण है. जंहा इसकी शिकायत मुख्यमंत्री से करने की तैयारी: इस पर बैठक में मौजूद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने अधिकारियों को कमेटी का गठन कर 15 दिन में जांच पूरी करने के आदेश दिए थे. हद यह हुई कि इस मामले में कमेटी का गठन ही चार दिसंबर को यानी 19 दिन बाद हुआ. सांसद प्रतिनिधि मोहन नेगी अब इसकी शिकायत मुख्यमंत्री से करने की तैयारी कर रहे हैं.
कार्यवृत्त देर से जारी किया, आधा अधूरा ही बनाया: वहीं ऐसा भी कहा जा रहा है कि पहले तो बैठक का कार्यवृत्त ही देर से जारी हुआ. इसके बाद कमेटी का गठन ही चार दिसंबर को हुआ. जांच अभी जारी है और कार्यवृत्त में प्रतिनिधि के रूप में उठाई गई बहुत सारी बातों को शामिल ही नहीं किया गया. यहां तक की टिहरी सांसद माला राज्यलक्ष्मी शाह की ओर से उठाए गए मामलों को भी कार्यवृत्त में शामिल नहीं किया गया. अब इसकी शिकायत सीएम से की जानी चाहिए.
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