लगातार दूसरे दिन भी एक भी कोरोना पॉजिटिव का केस न आने से उत्तराखंड सरकार ने राहत की सांस ली है। तसल्ली वाली बात यह है कि उत्तराखंड में कोरोना संक्रमितों की दर राष्ट्रीय औसत से कम है। वहीं देश में यह दर प्रति 100 टेस्ट में 3.5 कोरोना पॉजिटिव की है, हालाँकि उत्तराखंड में अभी यह ढाई फीसदी के आसपास है। परन्तु बीते एक पखवाड़े में जिस तरह से कोरोना पॉजिटिव मामलों का सूचकांक ऊपर चढ़ा है, उसने सात मामलों के इलाज में सफलता हासिल करने वाले तंत्र को चिंतित कर दिया है। वहीं कोरोना संक्रमितों के मामलों का लगातार विश्लेषण कर रहे समाजसेवी अनूप नौटियाल के अनुसार , पहली अप्रैल को कोरोना पॉजिटिव की दर महज 1.37 प्रतिशत थी। दो अप्रैल को दो कोरोना पॉजिटिव केस बढ़ने के साथ यह दर लगातार बढ़ती चली गई।
आपकी जानकारी के लिए बता दें की आठ अप्रैल को प्रदेश में कोरोना पॉजिटिव की संख्या 35 हो चुकी थी। उनके अनुसार, छह अप्रैल को कोरोना पॉजिटिव मामलों की दर 3.11 प्रतिशत थी। लेकिन पिछले दो दिनों से टेस्ट से भेजे गए सभी सैंपल नेगेटिव आए हैं और कोरोना पॉजिटव की संख्या अभी स्थिर बनी हुई है।राज्य में कोरोना के संक्रमण का खतरा बरकरार है। सरकार इस मामले में कोई जोखिम नहीं उठाना चाहती है। वहीं इसलिए उसके स्तर पर जांच का दायरा भी बढ़ाने की तैयारी है। जानकारों का मानना है कि कोरोना संक्रमण की असल तस्वीर तो तभी सामने आएगी, ज्यादा लोगों की जांच होगी।
इसके साथ ही अभी उत्तराखंड में हर दिन औसतन 150 सैंपल कोरोना की जांच के लिए भेजे जा रहे हैं। वहीं इस बीच सरकार देहरादून, हरिद्वार, रुड़की, अल्मोड़ा, हल्द्वानी और ऊधमसिंह नगर में 14 आवासीय स्थलों को हॉटस्पॉट घोषित कर चुकी है। स्वास्थ्य विभाग के बुलेटिन के अनुसार, 40413 लोगों को घरों में क्वारंटीन किया जा चुका है। वहीं 3770 लोग विभिन्न संस्थाओं में क्वारंटीन किए गए हैं। सरकार पर सबसे बड़ा और पहला दबाव क्वारंटीन किए गए 44 हजार से अधिक लोगों का कम से कम रेपिट एंटी बाड़ी टेस्ट कराए जाने का है। इसके लिए अभी सरकार इंतजाम ही जुटा रही है।
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