उत्तराखंड में गढ़वाल के पहाड़ी क्षेत्रों और कुमाऊं में दवा संकट गहरा सकता है। दवा सप्लाई में लगे वाहनों को पास नहीं मिल पा रहे हैं। वहीं होलसेल दवा विक्रेताओं के अनुसार कई बार आवेदन के बाद भी वाहनों को ई-पास जारी नहीं हो रहे हैं। इसके साथ ही गढ़वाल के पहाड़ी और कुमाऊं क्षेत्र में दवाइयों की ज्यादातर सप्लाई देहरादून से होती है। वहीं, क्लीयरिंग एंड फॉरवर्डिंग (सीएंडएफ) एजेंट देहरादून में ही हैं। वहीं यहां से ट्रांसपोर्ट वाहनों के जरिये दवाइयां पहुंचाई जाती हैं, परन्तु बीते कुछ दिनों से दवाइयों की सप्लाई का काम लगभग ठप है। दवा विक्रेताओं का कहना है कि उनके दवा वाहन पास ना मिलने के कारण जहां-तहां फंसे हुए हैं।
इसके साथ ही गढ़वाल और कुमाऊं जाने वाले वाहनों को भी ई-पास नहीं मिल पा रहे हैं।होलसेल केमिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष मनीष नंदा ने बताया कि कई बार ऑनलाइन सिस्टम पर आवेदन किया, लेकिन हर बार आवेदन रिजेक्ट कर दिया गया। इससे पहाड़ में दवा पहुंचाने वाले वाहन देहरादून से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। वहीं उन्होंने ने बताया कि गाजियाबाद में 20 मार्च से उनका ट्रक बुक है। इसमें दवाएं और अन्य सामान आना था, लेकिन आज तक उसे चलने की अनुमति नहीं मिल पाई है। अन्य राज्यों से गुजरने वाले वाहनों को बहुत दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं। अधिकतर होलसेल विक्रेता अपने पास अतिरिक्त स्टॉक रखते हैं।
आपकी जानकारी के लिए बता दें की राजधानी के दवा विक्रेताओं के पास होलसेल दवाओं का पर्याप्त स्टॉक है, परन्तु जल्द ही आपूिर्त नहीं हुई तो ये स्टॉक भी खत्म हो जा सकता है । इस संबंध में मेरी जिला प्रशासन के अधिकारियों से बातचीत हुई है।वहीं जिला प्रशासन ने निर्देशित किया कि दवा सप्लाई में लगे वाहनों को आवेदन में इसका जिक्र करना होगा। इससे पहाड़ जाने वाले वाहनों को दिक्कत नहीं रहेगी।दूसरे राज्यों से हमारी दवा की गाड़ियां नहीं आ पा रही हैं। गाड़ियों को अनुमति नहीं मिल रही है। इसके लिए केंद्र सरकार को पत्र भेजकर गाड़ियों को अनुमति देने का अनुरोध किया जाएगा।
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