उत्तराखंड में अब नौलों-धारों में दोबारा लाया जाएगा पानी

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देहरादून: अब राज्य में मनरेगा के तहत पांच हजार से अधिक जल स्रोतों के पुनर्जीवन किया जाएगा. पुनर्जीवित किए गए जल स्रोतों की कम से कम दो वर्ष तक देखभाल भी होगी. इसका प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है. राज्य में हर घर नल योजना भी आरम्भ की जा चुकी है. परेशानी यह है कि जलवायु बदलाव की वजह से जल स्रोत सूख रहे हैं अथवा उनमें पानी कम हो रहा है. ऐसे में पेयजल रणनीतियों पर भी खतरा है. 

वही मनरेगा के तहत वैसे भी जल संवर्द्धन का कार्य किया जाता है, किन्तु इसकी देखभाल नहीं होती. अब मनरेगा के तहत चाल-खाल, नौले, धारे आदि को पुनर्जीवित करने का कार्य किया जाएगा. मनरेगा के तहत ऐसे पांच हजार जल स्रोत चिह्नित भी किए जा चुके हैं. इनमें निर्माण, श्रम आदि का पेमेंट मनरेगा से होगा. शासन लेवल पर कुछ ही दिनों में इसके विस्तृत गाइडलाइन भी जारी हो सकते हैं. मनरेगा के नोडल अफसर मोहम्मद असलम के अनुसार, एसओपी तैयार कर शासन को भेजी जा चुकी है. 

वही रणनीति की विशेष बात यह है कि इसमें हर रणनीति के लिए स्थानीय लेवल पर समिति बनेगी. यह समिति स्रोत के पुनर्जीवन का खाका तैयार करेगी, तथा कम से कम दो वर्ष तक स्रोत की निरंतर देखभाल करेगी. स्रोत का हर तीन महीने में निरिक्षण किया जाएगा, तथा देखा जाएगा कि जल प्रवाह इसमें बढ़ रहा है या कम हो रहा है. जल स्रोत के पुनर्जीवन के लिए चाल खाल बनाने से लेकर पौध रोपण तक का कार्य होगा. इसी के साथ पूर्ण रूप से तैयारियां की जाएगी, तथा उचित रूप से निगरानी की जाएगी. 

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