देहरादून : उत्तराखंड अपने दूर्गम पहाड़ियों के लिए जाना जाता है। पहाड़ों पर बुनियादी ढ़ांचा न होने के कारण वहां से लाग रलायन कर रहे हैं। सरकारी सुविधाओं का वहां उपलब्ध न होना इसका एक और मुख्य वजह है। अब सरकार ने इसका हल निकालने के निए एक तरीका निकाला है। सरकार ने महिलाओं को इन दूरदराज के इलाकों के लिए अपना दूत नियुक्त किया है। दूरदराज के 65 ग्रामीण स्कूलों में स्मार्ट ईको क्लब के माध्यम से महिलाएं सड़क, बिजली, पानी, आग, खनन आदि की दिक्कत सीधे स्कूल पहुंचा रही हैं।
यहां से स्कूली शिक्षक या प्रिंसिपल उन शिकायतों को विभागों व सरकार तक भेजते हैं। खास बात यह है कि जहां विभागों को दिक्कतों की जानकारी हफ्तों नहीं मिल सकती थी, वहां बच्चों के माध्यम से चंद घंटों में सूचना प्रसारित हो जाती है। उत्तराखंड साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च सेंटर (यूएसईआरसी) देहरादून के वैज्ञानिक कल्याण सिंह रावत के अनुसार, यूएसईआरसी ने डिपार्टमेंट ऑफ स्कूल एजुकेशन उत्तराखंड के माध्यम से जल-जंगल और जमीन का पायलट प्रोजेक्ट दूरदराज के 65 ग्रामीण इलाकों के सरकारी स्कूलों में शुरू किया था।
इसके लिए सरकारी स्कूलों में स्मार्ट ईको क्लब बनाए गए। इनमें छात्रों के साथ-साथ उनकी माताओं को भी जोड़ा गया। महिलाओं को जोड़ने का मुख्य मकसद सूचनाओं को शीघ्र पहुंचाना था। महिलाओं और छात्रों को जल-जंगल और जमीन के माध्यम से पर्यावरण, जल संरक्षण, स्वच्छता के प्रति जागरूक किया गया। इसके अलावा, उन्हें दिक्कतों को साझा करने की जानकारी भी दी गई। उम्मीद की जा रही है कि सरकार का यह कदम पहाड़ों में फिर से रौनक लाएगा।
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