देहरादून: 4 दिन के विधानसभा सत्र में बतौर विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूरी भूषण पर सबकी नजरें थीं। उनके लिए यह एक नया अनुभव अवश्य है किन्तु उन्होंने अपने अलग अंदाज से छाप छोड़ी है। उनका कहना है कि वह प्रोफेसर रही हैं, इसलिए सदन में भी अनुशासन को ही प्राथमिकता देना पसंद करती रहेंगी।
विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूरी भूषण के लिए विधानसभा का यह सत्र एक नया अनुभव था। उन्होंने अनिश्चितकाल के लिए सत्र रद्द होने के पश्चात् खुलकर अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने कहा कि उनका मकसद था कि सत्र अधिक से अधिक वक़्त तक चलता। उन्होंने कहा कि गुरुवार को बजट पर अच्छी चर्चा हो सकती थी।
कई नए विधायक हैं, उन्हें बोलने का शानदार अवसर मिल सकता था। हालांकि चर्चा नहीं हो पाई। उन्होंने कहा कि मैं विपक्ष पर कोई टिप्पणी तो नहीं करूंगी किन्तु उन्हें भी आत्मचिंतन की आवश्यकता है। जब उनसे पूछा गया कि विपक्ष के बीच वह एक प्रोफेसर जैसे किरदार के तौर पर चर्चित हैं तो उन्होंने कहा कि वह प्रोफेसर रही हैं। वह चाहती हैं कि सदन में भी अनुशासन रहे। राज्य के प्रत्येक विधायक को अपनी बात रखने का अवसर प्राप्त हो। उन्होंने कहा कि इस सत्र से उन्हें भी बहुत कुछ सीखने को प्राप्त हुआ है। उन्होंने कहा कि नए विधायकों को देखकर प्रसन्नता हुई कि उनकी सहभागिता काफी अच्छी थी। हमारा प्रयास अगले सत्र में रहेगा कि हम और ज्यादा सवाल लें, और ज्यादा विधायकों को बोलने का अवसर दें।
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