आप तो जानते ही हैं कि वैशाख शुरू हो चुका है ऐसे में हिन्दू कैलेंडर के अनुसार वैशाख, वर्ष का दूसरा माह होता हैं और धार्मिक दृष्टि से इसे काफी शुभ माना गया हैं. आप सभी को बता दें कि वैशाख महीने से जुड़ी एक महात्म्य कथा भी बहुत प्रचलित हैं जिसे अगर सुन लिया जाए तो लाभ मिलता है. तो आइए जानते हैं वैशाख महीने में सुनी जाने वाली कथा.
कथा - यमराज ने एक बार एक ब्राह्मण से कहा कि बहुत पहले एक महिरथ नामक राजा थे उन्हें पूर्व जन्म के अच्छे कर्मों की वजह से ईश्वरीय कृपा मिली थी पर राजा ने राज्य का सारा भार मंत्रियों पर छोड़ रखा था और खुद भोग-विलासिता में जीवन व्यतीत करता था. उसे ना तो प्रजा से कोई मतलब था और ना ही वो कभी धर्म कार्य करते थे, राजा का मन कामिनियों की क्रीड़ा में ही आसक्त रहता था, राजा का राजपुरोहित जिसका नाम कश्यप था, उसने सोचा कि जो गुरु अपने शिष्य को सही राह पर नहीं ला पाता तो वो गुरू भी अपने शिष्यों के पाप का भागीदार बनता हैं.राजपुरोहित ने राजा से कहा कि मैं तुम्हारा गुरु हूं इसलिए तुम्हे मेरी बात माननी चाहिए पर राजा अपने गुरु की बात की हमेशा अवहेलना करता था, कश्यप ने राजा से कहा है राजन तुमने कभी कोई धर्म कार्य नहीं किया हैं तुम केवल वासना में ही लिप्त रहते हो, क्या तुम्हें ये नहीं पता कि अंत समय में केवल तुम्हारे धर्म-कर्म ही तुम्हारे काम आएंगे. राजपुरोहित ने कहा कि तुम्हारे इस दुनिया से जाने का बाद तुम्हारे साथ केवल तुम्हारे कर्म जाएंगे तो बेवजह पत्नी, पुत्र, कुटुंब इत्यादि मोह में उलझे रहते हो, आखिरी सफर में तुम्हारे साथ कोई नहीं जाएगा और जिस पथ से तुम आखिर सफर तय करोगे वहां तुम्हे कुछ नहीं मिलेगा.
जो व्यक्ति व्यसन से दूर रहता हैं वो स्वर्ग भोगता हैं और जीवन मे सभी परेशानी व्यसन से ही उत्पन्न होती हैं, कश्यप ने कहा राजा वैशाख माह व्यक्ति के सभी पापों का नाश कर देता हैं इसलिए तुम पूरे विधि-विधान से वैशाख माह का व्रत करो, प्रातःकाल स्नान करो और भगवान मधुसूदन का ध्यान करो ऐसा करने से व्यक्ति के सभी पापों का नाश हो जाता हैं.
तब राजा ने राजपुरोहित के अनुसार बताए गए तरीके से पूजन किया लेकिन काल की नजर राजा पर पड़ गई और राजा दुर्बल होकर मर गया. तब उसे लेने यमराज के दूत और भगवान विष्णु के दूत पहुंचे, भगवान विष्णु के दूतों ने यम के दूतों को कहा कि राजा धर्मात्मा हो चुका हैं और वैशाख में प्रतिदिन स्नान करने से उसके सारे पापों का नाश हो चुका हैं तब भगवान विष्णु के दूत उसे नरक के मार्ग से बैकुंठ धाम ले जाने लगे.रास्ते मे राजा ने नरक में दी जाने वाली सभी यातनाओं को देखा, दूतों ने कहा जो धर्म-कार्य नहीं करता, पाप में लिप्त रहता हैं और किसी की सहायता नहीं करता तो उसे पाप के दुख भोगने पड़ते हैं. तब दूतों ने कहा कि तुम्हें यहा नहीं रूकना चाहिए क्योंकि तुम्हे स्वर्ग धाम जाना हैं. राजा ने पूछा कि मैंने ऐसे कौन से कर्म किए हैं जिसकी वजह से उन्हें इस मार्ग से लाया गया और कौन से कर्म की वजह से उसे बैकुंठ ले कर जाया जा रहा हैं.
तब दूतों ने कहा कि वो जीवन भर काम वासना में लिप्त रहता था, कोई धार्मिक कार्य नहीं किये किए थे इसलिए इस मार्ग से लेकर आए पर आखिरी 3 सालों में उसने वैशाख माह में विधिवत पूजन किया जिससे उसके पापों का नाश हो गया. इसलिए जो व्यक्ति वैशाख माह में मधुसूदन भगवान का ध्यान करता हैं प्रतिदिन स्नान-ध्यान करता हैं वो सभी पापों से मुक्त हो जाता हैं.
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