''और भी दुख हैं ज़माने में मोहब्बत के सिवा, राहतें और भी हैं वस्ल की राहत के सिवा''
फैज़ ने ये पंक्तियाँ एक अलग ही सन्दर्भ में लिखी थी। लेकिन आज की युवा पीढ़ी के लिए ये पंक्तियाँ सटीक और मजेदार है, क्योंकि आज की पीढ़ी के पास मोहब्बत के अलावा भी नौकरी, घर, कार, नये फॉर जी मोबाइल खरीदने की चिंताए हैं। इस वजह से एक ज़हनी और और देवदास किस्म के प्रेमियों की संख्या दिनों दिन घटती जा रही हैं। जो कि एक चिंता की वजह है। शायद, यही एक मात्रा कारण है कि आज के लड़कों के पास 'राँझा', 'मजनूँ' और 'रोमियो' बनने जैसा गॉड गिफ्टेड टैलेंट नहीं है। अब पार्ट टाइम किस्म के प्रेमियों की संख्या बढ़ती जा रही है, फुल टाइम प्रेमियों का अभाव है। वैसे ही जैसे, फुल टाइम जॉब की जगह पार्ट टाइम जॉब का क्रेज़ बढ़ रहा है।