हिन्दू धर्म के मुताबिक़ हर एक दिन कोई न कोई पर्व मनाया जाता है. ऐसे में आज मतलब की मंगलवार को भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि के दिन वामन जयंती मनाई जा रही है. वहीं पौराणिक कथाओं के अनुसार वामन विष्णु के पांचवें तथा त्रेता युग के पहले अवतार थे और ऐसा कहते हैं कि यह विष्णु के सबसे पहले ऐसे अवतार थे जो मानव रूप में प्रकट हुए अलबत्ता बौने ब्राह्मण के रूप में. इसी के साथ कहा जाता है दक्षिण भारत में इनको उपेन्द्र के नाम से भी जाना जाता है.
आप सभी को बता दें कि पूरे भारत वर्ष में वामन द्वादशी का पर्व बड़ी श्रद्घा व उल्लास के साथ मनाते हैं और हिंदू धर्म में यह पर्व समाज को संदेश देता है कि ''अंहकार ही मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है हम अंहकार से दूर रहकर ही दुराचार व अन्याय का दमन कर स्वस्थ समाज की परिकल्पना कर सकते हैं.'' इसी के साथ वामन अवतार भगवान विष्णु का अवतार हैं जिसे सभी जानते हैं. कहते हैं वामन द्वादशी की दोपहर को स्वर्ण या यज्ञोपवित से निर्मित वामन भगवान का श्री रूप स्थापित कर सुवर्ण पात्र अथवा मिट्टी के पात्र में षोडशोपचारपूर्वक पूजन करने के उपरांत वामन भगवान की कथा सुनकर, अर्ध्य दान करें, फल, फूल चढ़ाना चाहिए. इसी के साथ मिट्टी के पात्र में दही, चावल एवं शक्कर रखकर ब्राह्मण को माला, गउमुखी, कमण्डल, लाठी, आसन, गीता, फल, छाता, खडाऊ तथा दक्षिणा दान करना चाहिए. वहीं आज के दिन फलाहार कर दूसरे दिन त्रयोदशी को व्रत पारण करना चाहिए.
आइए जानते हैं पूजन मंत्र - देवेश्वराय देवश्य, देव संभूति कारिणे. प्रभावे सर्व देवानां वामनाय नमो नमः..
अर्ध्य मंत्र - नमस्ते पदमनाभाय नमस्ते जलः शायिने तुभ्यमर्च्य प्रयच्छामि वाल यामन अप्रिणे.. नमः शांग धनुर्याण पाठ्ये वामनाय च. यज्ञभुव फलदा त्रेच वामनाय नमो नमः..
अगर आप इन मन्त्रों से वामन भगवान का पूजन करते हैं तो वामन भगवान आपके सभी कष्टों को काट देंगे.
आज है वामन जयंती, ऐसे करें पूजन और पढ़े यह कथा